नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पॉक्सो कानून पर बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि स्किन से स्किन का टच हुए बिना नाबालिग पीड़िता को छूना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। यह पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न नहीं है। कोर्ट से तीन साल की सजा पाए शख्स रिहा करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले पर पहले ही रोक लगा चुका है। कोर्ट ने 27 जनवरी को इस फैसले पर रोक लगाई थी।
बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर एनसीडब्ल्यू की याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया मांगी। अन्य याचिकाकर्ताओं, यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया और भारतीय स्त्री शक्ति ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के 19 जनवरी के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका वापस ले ली। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र द्वारा दायर एक अलग याचिका पर पीठ ने मामले में आरोपियों को नोटिस जारी किया।
पीठ ने एनसीडब्लू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा से पूछा कि वह क्यों एक अलग याचिका पर विचार करे जब पहले ही उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा चुका है और आरोपी जेल में है? लूथरा ने एनसीडब्ल्यू अधिनियम के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कोई ऐसे मामले सामने आते हैं तो आयोग को सुधार के लिए अदालत का रुख करना चाहिए। शुरुआत में, वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि हाई कोर्ट के फैसले पर पहले ही रोक लगा दी गई है और मामले में कई नई याचिकाएं दायर की गई हैं। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर नई दलीलों पर नोटिस जारी किए जाएंगे। आयोग ने अपनी याचिका में कहा है कि शारीरिक संपर्क की इस तरह से व्याख्या करने की अनुमति देने से महिलाओं के मूलभूत अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी फैसले पर रोक लगा दिया था
27 जनवरी फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त और महाराष्ट्र सरकार को दो सप्ताह मे जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी थी। अटॉर्नी जनरल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को अभूतपूर्व बताया था और कहा था कि इससे गलत नजीर पेश होगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 19 जनवरी के अपने एक फैसले में कहा था कि अभियुक्त के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून की धारा 8 के तहत मामला नहीं बनता क्योंकि उसका पीड़िता से सीधा शारीरिक संपर्क यानी स्किन टु स्किन (त्वचा से त्वचा) संपर्क नहीं हुआ। अभियुक्त ने कपड़े नहीं हटाए थे ऐसे में इसे पॉक्सो के तहत यौन दुर्व्यवहार नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट ने करीब 12 साल की बच्ची के कपड़ों के ऊपर से वक्ष पकड़ने को पॉक्सो कानून में यौन दुर्व्यवहार नहीं माना था।
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