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    पॉक्सो एक्ट उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से बचाना है – दिल्ली हाईकोर्ट

  • November 13, 2022


    नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) का उद्देश्य (Aims) नाबालिगों को (Minors) यौन शोषण से (From Sexual Exploitation) बचाना है (To Protect) न कि युवा वयस्कों की रजामंदी वाले (Not with the Consent of Young Adults) रोमांटिक संबंधों को (To Romantic Relationships) अपराध बनाना (Make A Crime) ।


    जस्टिस जसमीत सिंह ने अक्टूबर 2022 में आईपीसी की धारा 363/366/376 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6/17 के तहत दर्ज एक मामले में एक आरोपी को जमानत देने का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की। इस मामले में पीड़ित लड़की जून 2021 में 17 साल की थी जब उसके परिवार ने उसकी शादी एक व्यक्ति से कर दी थी, लेकिन लड़की उसके साथ नहीं रहना चाहती थी।

    जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा, “मेरी राय में पॉक्सो एक्ट का इरादा 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाना है। इसका मतलब कभी भी वयस्कों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को आपराधिक बनाना नहीं है। हालांकि इसे हर मामले में तथ्यों और परिस्थितियों के हिसाब से देखा जाना चाहिए। ऐसे कई मामले हो सकते हैं जहां यौन अपराध के पीड़ित को दबाव में समझौता करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।”

    अक्टूबर 2021 में लड़की आरोपी के घर आई जो उसका दोस्त था और वह उसे पंजाब ले गया जहां लड़का-लड़की ने शादी कर ली, जिसके बाद लड़की के पिता ने आरोपी लड़के के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। आरोपी 31 दिसंबर 2021 से न्यायिक हिरासत में था। जस्टिस सिंह ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को देखते हुए कहा कि यहां पता चलता है कि लड़की ने अपनी मर्जी से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लड़की ने वहां बयान दिया कि उसके माता-पिता उसे और उसके पति को नुकसान पहुंचाने की धमकी दे रहे हैं।

    अदालत ने 20 अक्टूबर को महिला से बातचीत की । उसने कोर्ट को बताया कि जब वह किशोरावस्था में थी तब उसकी शादी एक व्यक्ति से हुई थी, लेकिन वह उसके साथ नहीं रहना चाहती थी। लड़की ने अदालत को आगे बताया कि उसने अपने दोस्त से अपनी मर्जी से और बिना किसी दबाव के शादी की । लड़की ने अदालत से कहा कि वह आज भी अपने पति के साथ रहना चाहती है।

    कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है, जहां लड़की को लड़के के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया । वास्तव में वह खुद लड़के के घर गई और उससे शादी करने के लिए कहा । लड़की के बयान से यह स्पष्ट होता है कि यह दोनों के बीच एक रोमांटिक रिश्ता है और उनके बीच यौन संबध सहमति से बने ।” अदालत ने कहा कि हालांकि एक नाबालिग की सहमति का कोई कानूनी असर नहीं होता, लेकिन जमानत देते समय सहमति से बने संबंध के तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए। इन परिस्थितियों में आवेदक जमानत का हकदार है ।

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