नई दिल्ली: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की जेब खाली हो गई है. प्राधिकरण के पास विकास कार्य करवाने के लिए अब पैसा नहीं बचा है. जीडीए ने अब फंड उपलब्ध कराने को राज्य सरकार से गुहार लगाई है. स्टांप ड्यूटी से मिले कमीशन के 585 करोड़ रुपये जारी करने की मांग करते हुए जीडीए ने कहा है कि अगर ये पैसे जल्द न मिले तो विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़ जाएंगे. गौरतलब है कि संपत्ति की बिक्री पर 5 फीसदी स्टांप ड्यूटी और 2 फीसदी डेवलपमेंट फंड लगता है. यह फंड सरकार के खजाने में जमा होता है और सरकार हर साल इसे गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और यूपी हाउसिंग बोर्ड को देती है.
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के लिए डेवलपमेंट फंड आय का प्रमुख स्रोत है. इसी फंड से मिले पैसों का इस्तेमाल वह विकास कार्यों और नए प्रोजेक्ट लगाने में करता है. लेकिन, खास बात यह है कि इस फंड का पूरा पैसा पिछले किसी भी साल में प्राधिकरण को नहीं मिला है. वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार ने प्राधिकरण को केवल 41.8 करोड़ रुपये ही दिए. सरकार की ओर अब भी प्राधिकरण का 568 करोड़ रुपये बकाया है. इसे जारी करवाने के लिए ही अब प्राधिकरण ने सरकार को पत्र लिखा है.
हाउस और सीवर टैक्स, म्यूटेशन और किराए के अलावा स्टांप ड्यूटी, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की आय का प्रमुख स्रोत है. पहले यह फंड डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास जमा होता था. लेकिन, मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में इस व्यवस्था को बदल दिया गया और स्टांप ड्यूटी से मिला पैसा सरकारी खजाने में जमा होने लगा.
फंड की कमी से गाजियाबाद में विकास कार्य किस तरह प्रभावित हो रहे हैं, इसका उदाहरण मधुबन बापूधाम ट्रैक पर प्रस्तावित रेलवे ओवर ब्रिज है. पैसों की कमी की वजह से इस ब्रिज का निर्माण बार-बार टल रहा है.
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