लखनऊ, 01 अगस्त । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को जहां अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन करेंगे, वहीं इस मौके पर पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र पर डाक टिकट भी जारी करेंगे। खबर यह भी है कि वह रामायण विश्व महाकोश के आवरण पृष्ठ का भी लोकार्पण कर सकते हैं।
शासन से जुड़े सूत्रों की मानें तो संस्कृति विभाग के प्रयास से भूमि पूजन के कार्यक्रम को लम्बे समय तक अविस्मरणीय बनाने के लिए पांच अगस्त को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पर डाक टिकट जारी करने की योजना है। इसका अनावरण प्रधानमंत्री मोदी के हाथों कराया जाएगा।
सूत्र बताते हैं कि इस खास अवसर पर उप्र संस्कृति विभाग रामायण विश्व महाकोश (इन्साइक्लोपीडिया) के आवरण पृष्ठ का भी प्रधानमंत्री के द्वारा लोकार्पण करवाने की तैयारी कर रहा है। इस महाकोश का ‘लोगो’ कम्बोडिया के दसवीं शताब्दी के एक मंदिर के मुख्य द्वार पर अंकित रामायण के प्रथम श्लोक से सम्बंधित कलाकृति पर आधारित है।
दरअसल प्रदेश के संस्कृति विभाग के अधीनस्थ संचालित अयोध्या शोध संस्थान द्वारा रामायण विश्व महाकोश तैयार किया जा रहा है। विभिन्न खंडों में विभाजित इस महाकोश का पहला और दूसरा खंड अयोध्या पर ही आधारित होगा। प्रथम खंड में अयोध्या के इतिहास, पुरातत्व व वहां की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं साहित्यिक संदर्भों को शामिल किया जाएगा। वहीं द्वितीय खंड में अयोध्या के राजाओं के विवरण विस्तार से समाहित होंगे।
अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा. योगेन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार श्रीराम की वैश्विकता पूरे विश्व में प्रामाणिकता के साथ है। सांस्कृतिक राम या राम की संस्कृति इतनी व्यापक एवं वैविध्यपूर्ण है कि अभी उसका लेशमात्र ही प्रकाश में आ सका है। पूरे विश्व को एक इकाई मानकर यदि इसे प्रस्तुत किया जाय तो श्रीराम से संबंधित विशेष चरण व क्षेत्र मिलते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया के देश थाईलैण्ड, वियतनाम, इण्डोनेशिया, कम्बोडिया और कैरेबियन देश वेस्टइंडीज, सूरीनाम व मॉरीशस में रामायण और श्रीराम से संबंधित अनेक प्रसंग जीवंत हैं। इसके अलावा मध्य पूर्व ईराक, सीरिया, मिश्र सहित यूरोप इंग्लैड, बेल्जियम और मध्य अमेरिका के होण्डुरास सहित अन्य विश्व के कई देशों में भारतीय संस्कृति के संवाहक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का समग्र रूप दिखता है।
उन्होंने बताया कि विद्वानों का मत है कि श्रीराम की सांस्कृतिक विविधता के तथ्यों के अनगिनत प्रमाण हैं, जिनमें अन्वेषण की अपार सम्भावनायें हैं। ऐसे में अयोध्या शोध संस्थान रामायण विश्व महाकोश के प्रकाशन की तैयारी में है। इस कार्य से भारत की विदेश राजनीति एवं अर्थनीति को विश्व के साथ जुड़ने और जोड़ने का सुन्दर अवसर मिलेगा।
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