दीवाली के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जैसलमेर की लोंगेवाला सीमा पर जवानों के बीच पहुंचे. यहां उन्होंने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके नेतृत्व में लड़ी गई 1971 की ऐतिहासिक लड़ाई को याद किया. बता दें कि ‘बॉर्डर’ फिल्म में सनी देओल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी पर आधारित भूमिका ही निभाई थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘बैटल ऑफ लोगेंवाला’ को भारतीय सैन्य बल के साहस और शक्ति का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि लोंगवाला का युद्ध, भारतीय सेना, बीएसएफ, वायुसेना के अद्भुत तालमेल का भी प्रतीक है. बता दें कि इस बार पीएम मोदी दीवाली मनाने के लिए लोंगेवाला सीमा पर पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि 1971 में हुए इस युद्ध के 50 साल पूरे होने जा रहे हैं. उस ऐतिहासिक गौरव को मनाने की तैयारी है इसलिए यहां आने का मन कर गया. उन वीरों की विजयगाथाओं को सुनकर पूरा देश गौरवान्वित होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि जब भी सैन्य कुशलता के इतिहास के बारे में लिखा-पढ़ा जाएगा, जब सैन्य पराक्रम की चर्चा होगी तो बैटल ऑफ लोंगेवाला को जरूर याद किया जाएगा. यह वो समय था जब पाकिस्तान की सेना, बांग्लादेश के निर्दोष नागरिकों का नरसिंहार कर रही थी. बहन-बेटियों पर अमानवीय जुल्म हो रहे थे. इन हरकतों से पाकिस्तान का घृणित चेहरा उजागर हो रहा था. पाकिस्तान का भयंकर रूप दुनिया के सामने प्रकट हो रहा था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सब से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान ने हमारे देश की पश्चिमी सीमाओं पर मोर्चा खोल दिया. पाकिस्तान को लगा कि पश्चिमी सीमाओं पर मोर्चा खोल देने से बांग्लादेश को लेकर किए जाने वाले पाप छिप जाएंगे लेकिन भारतीय सैनिकों ने जो मुंहतोड़ जवाब दिया, उससे पाकिस्तान को लेने के देने पड़ गए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां इस पोस्ट पर दिखाए गए पराक्रम की गूंज ने दुश्मन का हौसला तोड़ दिया. उस वक्त क्या पता था कि यहां उसका सामना मां भारती के शक्तिशाली बेटे-बेटियों से हो रहा है. मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में भारतीय वीरों ने टैंकों से लैस दुश्मन के सैनिकों को धूल चटा दी थी. उनके मंसूबों को नेस्तनाबूद कर दिया.
मेजर कुलदीप को नमन
प्रधानमंत्री मोदी ने मेजर कुलदीप की बहादुरी को नमन करते हुए कहा कि उनके माता-पिता ने नाम रखते हुए कुल के दीपक के बारे में सोचा होगा लेकिन उन्होंने नाम को ऐसे सार्थक किया कि कुलदीप नहीं राष्ट्रदीप हो गए. उन्होंने कहा कि साथियों, लोंगेवाला की लड़ाई ने दिखाया कि भारत की संगठित सैन्य शक्ति के सामने चाहे कोई भी आ जाए, वह टिक नहीं पाएगा.
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