लद्दाख (Ladakh) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शुक्रवार को करगिल विजय दिवस (kargil victory day) के अवसर पर लद्दाख के द्रास में करगिल युद्ध स्मारक का दौरा करेंगे और इस दौरान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शिंकुन ला सुरंग परियोजना (Shinkun La Project) का पहला विस्फोट करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। PMO के अनुसार, यह परियोजना लेह को सभी मौसम में संपर्क प्रदान करेगी और पूरी होने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। अधिकारियों ने बताया कि ‘पहला विस्फोट’ महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुरंग के निर्माण की शुरुआत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक से ही रिमोट के जरिए यह काम करेंगे।
PMO ने बताया है कि प्रधानमंत्री 26 जुलाई को 25वें करगिल विजय दिवस के अवसर पर, सुबह 9 बज कर लगभग 20 मिनट पर करगिल युद्ध स्मारक का दौरा करेंगे और कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
क्या है शिंकुन ला सुरंग परियोजना
शिंकुन ला सुरंग परियोजना में 4.1 किलोमीटर लंबी दोहरी-ट्यूब सुरंग शामिल है, जिसका निर्माण लेह को सभी मौसम में संपर्क प्रदान करने के लिए निमू–पदुम–दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर किया जाएगा। निर्माण पूरा होने के बाद, यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। इस सुरंग के चार साल में बनकर तैयार होने की उम्मीद है। यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी, जो चीन की 15,590 फीट की ऊंचाई पर बनी सुरंग को पीछे छोड़ देगी।
शिंकुन ला सुरंग न केवल हमारे सशस्त्र बलों और उपकरणों की तेज और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी बल्कि लद्दाख में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देगी। यह निम्मू-पदम-दारचा सड़क लद्दाख को तीसरा संपर्क विकल्प प्रदान करेगी। निम्मू और दारचा के बीच संपर्क मार्च 2024 में हासिल किया गया था और सड़क पर ब्लैकटॉपिंग की जा रही है।
करीब 16000 फीट की ऊंचाई पर इस सुरंग के निर्माण का शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी ऐसे समय में करने जा रहे हैं, जब एक तरफ पाकिस्तान को करगिल युद्ध में धूल चटाने की 25वीं वर्षगांठ है तो दूसरी तरफ पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध अपने पांचवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। अब तक विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबित समस्याओं के समाधान के कोई संकेत नहीं मिले हैं। हालांकि भारत को उम्मीद है कि चीन के साथ चल रही बातचीत अप्रैल 2020 की यथास्थिति को बहाल करने में मदद करेगी।
सुरंग की खूबियां
4.1 किलोमीटर लंबी शिंकू ला सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी को 60 किलोमीटर कम कर देगी, जिससे यह दूसरी 355 किलोमीटर से घटकर 295 किलोमीटर रह जाएगी। इतना ही नहीं यह मनाली-लेह और पारंपरिक श्रीनगर-लेह मार्ग का भी विकल्प होगा। निम्मू-पदम-दारचा सड़क रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अन्य दो अक्षों से छोटी है और केवल 16,615 फीट ऊंचे शिंकू ला दर्रे को पार करती है। सीमा सड़क संगठन ने पिछले तीन वर्षों में 8,737 करोड़ रुपये की लागत से 330 परियोजनाएं पूरी की हैं और चीन के साथ सीमा पर भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक गतिशीलता में काफी सुधार किया है।
यह एलएसी के पास भारत के सबसे उत्तरी सैन्य अड्डे दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) को बहुत जरूरी वैकल्पिक संपर्क प्रदान करने की महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने के कगार पर है। सीमा सड़क संगठन 1,681.5 करोड़ रुपये की लागत से इस सुरंग का निर्माण करेगा। इस सुरंग से कारगिल, सियाचिन और नियंत्रण रेखा (एलओसी) जैसे रणनीतिक स्थानों तक भारी मशीनरी के परिवहन को सुव्यवस्थित करने और यात्रा की दूरी लगभग 100 किमी कम करने की उम्मीद है । ये सुरंग तोप और मिसाइल रोधी होंगी।
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