नई दिल्ली। 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती भी है और इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का 17 सितंबर को जन्मदिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में खुद को काफी अनुशासित (disciplined) रखते हैं। कई मौके पर इसके उदाहरण भी देखने को मिले हैं।
गुजरात (Gujarat) बीजेपी के नेता कश्यप शुक्ला ने मोदी स्टोरी के जरिए प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हैं कि एक कार्यक्रम में जब वह सिर्फ तीन मिनट की देरी से पहुंचे तो वहां उन्होंने आयोजकों और कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों से माफी मांगी थी।
कश्यप शुक्ला बताते हैं, ‘यह बात 35-40 साल पुरानी है, जब नरेंद्र भाई गुजरात में पार्टी के महासचिव थे। नरेंद्र भाई संगठन में कैसे काम करते थे, इसके बारे में मैंने नजदीक से जाना है और उन्हें पहचाना है। 1992 की बात है। गुजरात के राजकोट में पार्टी की एक बैठक हुई थी।
महासचिव (General Secretary) होने के नाते नरेंद्र भाई इस बैठक में शामिल होने के लिए आ रहे थे। बैठक में शामिल होने वाले सभी लोग रात में ही राजकोट पहुंच गए थे। नरेंद्र भाई सुबह जल्दी उठकर सड़क के रास्ते अहमदाबाद से राजकोट आ रहे थे। उस समय कोई बड़ी गाड़ी नहीं थी। वह मारूती की छोटी सी स्टीम कार लेकर राजकोट आ रहे थे। नरेंद्र भाई को बैठक स्थल पर पहुंचाने की जिम्मेदारी मेरी थी।’
बीजेपी नेता आगे बताते हैं, ‘मीटिंग शुरू होने वाली थी। रास्ते में उन्होंने मुझसे पूछा कि कश्यप हम लेट तो नहीं हो रहे हैं। हमने उनसे कहा कि नहीं, हम अपने समय से 10 मिनट पहले चल रहे हैं। उनका व्यक्तित्व काफी विशाल है। मैं उस समय काफी छोटा कार्यकर्ता था। मैं उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था। मीटिंग की शुरुआत हो चुकी थी। उनकी बारी आई। स्टेज पर जैसे ही नरेंद्र भाई की बारी आई तो उन्होंने सबसे पहले बैठक में मौजूद कार्यकर्ताओं से माफी मांगी। उन्होंने कहा मैं तीन मिनट लेट आया हूं।’ कश्यप शुक्ला महज तीन मिनट की देरी के लिए माफी मांगने को नरेंद्र मोदी का बड़प्पन मानते हैं।
1985 में आरएसएस ने नरेंद्र मोदी को भाजपा को सौंपा था। पार्टी ने उन्हें 1987 में अहमदाबाद नगरपालिका में बीजेपी के चुनावी अभियान को संचालित करने की जिम्मेदारी सौंपी। इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली। 1987 में नरेंद्र मोदी को गुजरात ईकाई का ऑर्गेनाइजिंग सचिव बनाया गया। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा और 1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा को आयोजित करने में मदद की।
1995 में नरेंद्र मोदी को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव (national secretary) नियुक्त किया गया और वह गुजरात से दिल्ली पहुंचे। उन्होंने हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी के चुनाव अभियान का नेतृत्व भी किया। इसके एक साल बाद ही उनका प्रमोशन हो गया। पार्टी ने उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया।
6 वर्षों तक केंद्रीय टीम (central team) में काम करने के बाद बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को फिर गुजरात वापस भेजा। 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राजकोट में उन्होंने कांग्रेस के अश्विनी मेहता को 14 हजार से अधिक मतों से चुनाव हरा दिया। आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी का यह पहला चुनाव था। नरेंद्र मोदी 12 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहे।
2014 में नरेंद्र मोदी भारत के 14वें प्रधानमंत्री बने। इसके बाद जनता का विश्वास लगातार जीत रहे हैं। मोदी के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि वह पहली बार विधायक बने तो गुजरात के मुख्यमंत्री बने। इसी तरह वह पहली बार सांसद बने तो भारत के प्रधानमंत्री बने।
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