नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) रूस (Russia) में 16वें ब्रिक्स समिट (16th BRICS Summit) में शिरकत करने के बाद वतन लौट आए हैं. उनका यह दौरा स्ट्रैटेजिक (Strategic) लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा. दुनिया में कई मोर्चों पर लड़े जा रहे युद्ध के बीच कजान शहर में ब्रिक्स समिट में पीएम मोदी की मुलाकात रूस के राष्ट्रपति पुतिन (President Putin) के अलावा कई राष्ट्राध्यक्षों से हुई लेकिन सेंटर ऑफ अट्रैक्शन रही मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) की द्विपक्षीय बैठक. ऐसे में इस समिट से भारत को क्या हासिल हो पाया है, इस पर गौर करने की जरूरत है.
भारत लौटने पर पीएम मोदी ने ब्रिक्स के दौरे को बेहद सफल बताते हुए रूस के राष्ट्रपति पुतिन, उनकी सरकार और रूस के लोगों का आभार जताया. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स समिट सभी सदस्य देशों के लिए सकारात्मकता लेकर आया है, जो जंग के इस माहौल में बहुत जरूरी है.
जब 5 साल बाद हुई मोदी और जिनपिंग की बातचीत
पीएम मोदी के इस पूरे दौरे का सबसे बड़ा ‘हासिल’ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक थी. 2020 में गलवान घाटी में जो कुछ हुआ था, उसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आसमान छू रही थी. लेकिन इस समिट के जरिए भारत और चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलनी शुरू हुई और दोनों बातचीत की मेज पर आ पाए.
कजान शहर में बुधवार को ब्रिक्स समिट से इतर पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बैठक हुई. यह बैठक लगभग 50 मिनट की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने एलएसी पर सैन्य गतिरोध खत्म करने को लेकर बनी सहमति को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया. इस दौरान दोनों नेताओं ने एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने और 2020 में जो विवाद शुरू हुआ था, उसे सुलझाने के लिए हुए समझौते का स्वागत किया.
युद्ध के दौर में एक बार फिर शांति की अपील
पीएम मोदी ने भारत और चीन के बीच विवादों और मतभेदों को ठीक से सुलझाने पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी सूरत में शांति भंग नहीं होने देनी चाहिए.
पीएम मोदी ने ब्रिक्स समिट को संबोधित करते हुए कहा था कि यह ग्रुप युद्ध को नहीं बल्कि डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करता है. उन्होंने इस मंच से आतंकवाद और आतंकी फंडिंग के खिलाफ एकजुट होने की अपील की.
पीएम मोदी ने कहा कि हम डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं ना कि युद्ध का. हमने जिस तरह से मिलकर कोविड जैसी महामारी का सामना किया. हम ठीक उसी तरह से भावी पीढ़ियों के लिए अधिक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के नए अवसरों को तैयार करेंगे.
जब पुतिन ने कहा- हमारे रिश्तों को ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं
ब्रिक्स समिट ने भारत और रूस की दोस्ती को एक और नया आयाम दिया. जुलाई में कजाकिस्तान में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से नदरारद रहे पीएम मोदी विशेष रूप से रूसी राष्ट्रपति के आह्वान पर ब्रिक्स में शामिल होने के लिए कजान गए.
बातचीत के दौरान पीएम मोदी हिंदी और राष्ट्रपति पुतिन रूसी भाषा में बोल रहे थे. दोनों नेताओं की बातों को रूसी और हिंदी में अनुवाद करने के लिए ट्रांसलेटर मौजूद थे. लेकिन पुतिन ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और रूस के संबंध इतने प्रगाढ़ हैं कि मुझे लगता है आप मेरी बातें बिना ट्रांसलेटर की मदद के भी समझ सकते हैं. पुतिन की इस टिप्पणी पर पीएम मोदी खिलखिला उठे थे. यह घटनाक्रम दोनों नेताओं के बीच समय के साथ-साथ मजबूती होती जा रही मजबूती को दर्शाता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध सुलझाने में भारत बन सकता है शांतिदूत
ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बार पिर भारत के स्टैंड को दोहराया. उन्होंने पुतिन से कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध का शांतिपूर्ण ढंग से हल निकाला जाना चाहिए और इसके लिए भारत हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है. हम रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के मुद्दे पर लगातार संपर्क में रहे हैं. हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए. हम शांति और स्थिरता की बहाली का पूरा समर्थन करते हैं. भारत सदैव मानवता को प्राथमिकता देने का प्रयास करता है और युक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है.
ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियान से मुलाकात थी अहम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स समिट के दौरान ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से भी मुलाकात की थी. इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच पश्चिमी एशिया में शांति की जरूरतों और भारत की भूमिका पर चर्चा हुई.
इजरायल-ईरान के बीच तनाव को लेकर भी चर्चा हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पेजेश्कियान को भारत दौरे का न्योता भी दिया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया. दोनों नेताओं ने प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर भी बातचीत की, जिसमें चाबहार पोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) शामिल हैं.
ग्लोबल साउथ की चिंताओं पर फोकस
प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स समिट के दौरान ग्लोबल साउथ की चिंताओं को लेकर मुखर होकर बात की. उन्होंने G-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत द्वारा आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन को याद करते हुए कहा कि ब्रिक्स को ग्लोबल साउथ की चिंताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ राष्ट्रों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को समझने की जरूरत है. 1960 के दशक ग्लोबल साउथ टर्म का पहली बार इस्तेमाल किया गया था. शुरुआत में इस शब्द का मतलब लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के इलाकों से था. लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग विकासशील और तीसरी दुनिया के देशों के लिए किया जाने लगा.
भारत और UAE की रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने यूएई-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की और उसका सकारात्मक मूल्यांकन किया. उन्होंने पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी बातचीत की. साथ ही शांति, सुरक्षा और स्थिरता की शीघ्र बहाली के लिए प्रयास जारी रखने पर सहमति व्यक्त की.
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स समिट के दौरान यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि यूएई के राष्ट्रपति मेरे भाई महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मिलकर खुशी हुई. पीएम मोदी और शेख मोहम्मद बिन जायद ने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर विचारों को साझा किया.
भारत और मिस्र की पार्टनरशिप पर हुई बात
कजान में पीएम मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी से भी मुलाकात की. इस दौरान पीएम मोदी ने मिस्र के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर भी चर्चा की. दोनों पक्षों ने इस पार्टनरशिप को और बढ़ाने और भावी योजनाओं पर बात की.
कैसा होगा ब्रिक्स का फ्यूचर?
कजान में तीन दिनों का ब्रिक्स समिट भारत के लिए काफी अहम रहा. भारत ब्रिक्स को वैश्विक संतुलन, विविधता और बहुलता का एक अहम मंच मानता है. ब्रिक्स के सदस्य देशों का आर्थिक और सामाजिक विकास इसका आधार है. यह संगठन व्यापारिक संबंधों को आगामी सालों में और मजबूत करने पर जोर देगा. न्यू डेवलपमेंट बैंक, ब्रिक्स इंटरबैंक कोऑपरेशन मैकेनिज्म, ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल और ब्रिक्स महिला बिजनेस अलायंस अहम है.
न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) को आमतौर पर ब्रिक्स बैंक के रूप में जाना जाता है. इसे 2015 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक के विकल्प के रूप में स्थापित किया गया था. ब्रिक्स संगठन अगले कुछ सालों में ब्रिक्स बैंक को मजबूती देने पर काम करेगा. इसके लिए ब्रिक्स करेंसी को मंजूरी देने पर विचार-विमर्श चल रहा है.
कजान घोषणापत्र में भविष्य की झलक
ब्रिक्स समिट के दूसरे दिन पीएम मोदी सहित सदस्य देशों ने कजान घोषणापत्र को मंजूरी दी. इस घोषणापत्र में ब्रिक्स ने इंटरनेशनल सिस्टम को और लचीला और जवाबदेह बनाने की बात कही है. यह भी कहा कि उभरते विकासशील देशों को इसमें जगह मिलनी चाहिए. सबसे कम विकसित देशों विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई मुल्कों को और भागीदारी मिलनी चाहिए.
घोषणापत्र में रूस और चीन पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर स्पष्ट कटाक्ष करते हुए ब्रिक्स के नेताओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बंधन मुक्त कराने की बात कही है. साथ ही किसी भी देश के खिलाफ एकतरफा फैसले या ताकत के दम पर कोई कार्रवाई करने का विरोध किया गया है.
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