भोपाल। प्रदेश में पानी की एक-एक बूंद को सहेजने का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। 4 हजार करोड़ की लागत से 52 जिलों में 5 हजार से अधिक सरोवर बनाए जा रहे हैं। इनसे 6.72 करोड़ घन मीटर जल भंडारण की क्षमता बढ़ेगी। दो तिहाई तालाब बन गए हैं और लबालब हैं। 35 हजार 814 हेक्टेयर की असिंचित कृषि भूमि को इस पानी का फायदा मिलेगा। इससे किसान और समृद्ध होंगे व जलस्तर बढ़ेगा। कुएं व नलकूप रिचार्ज होने से 15 हजार 253 हेक्टेयर का सिंचित रकबा और वन क्षेत्र भी बढ़ेगा। यह नवाचार अमृत सरोवर योजना में हो रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष हर जिले में 75 तालाब बनाने का लक्ष्य रखा था।
2342 तालाबों में होगा मत्स्य पालन
अमृत योजना में प्रदेश में 5 हजार से अधिक सरोवर बनाए जा रहे हैं। सरोवरों से सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ेगा। किसानों को पूरे साल पानी मिलेगा। कुएं-नलकूप रिचार्ज होंगे।
52 जिलों में 5 हजार 171 बन रहे सरोवर
योजना में किसान की समृद्धि के साथ प्रकृति, जीव-जंतुओं व पर्यटन को सहेजने का भी काम हो रहा है। 314 सरोवरों में जैव-विविधता भी विकसित की जा रही है। पर्यटन स्थल के रूप में 197 तालाबों का विकास किया जाएगा। अमृत महोत्सव के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से जुड़े क्षेत्र में 63, शहीदों के गांव-कस्बा क्षेत्र में 62, ऐतिहासिक-पुरातात्विक महत्व के स्थलों के आसपास 114 व प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों से जुड़े क्षेत्रों में 212 तालाब बनाए जाएंगे।
9432 हेक्टेयर में सिंचाई कर सकेंगे किसान
मध्य प्रदेश सरकार जल संरक्षण और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार काम कर रही है। 11 महीने (एक अप्रैल 2021 से 28 फरवरी 2022) में सरकार ने 1950 जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया है, तो वर्ष 2019 में शुरू जल जीवन मिशन में अब तक 53 लाख ग्रामीण परिवारों तक नल से जल पहुंचाया गया है। 19 हजार से अधिक नलजल योजनाएं और पांच लाख से अधिक हैंडपंप पहले से संचालित हैं। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिले, इसके लिए साढ़े चार लाख महिलाओं को जल की जांच का प्रशिक्षण दिया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जनवरी 2022 में प्रदेश के 36 जिलों के लिए 82 नई वाटरशेड विकास परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। 1088.274 करोड़ की लागत से आकार लेने वाली इन परियोजनाओं से 94670 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी और इन्हें अगले पांच साल में पूरा किया जाएगा।
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