नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) बुधवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वैश्विक तेल और गैस क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) और विशेषज्ञों के साथ बातचीत करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक बयान में कहा कि यह छठी ऐसी वार्षिक बातचीत है, जो 2016 में शुरू हुई थी.
इसमें तेल और गैस क्षेत्र के वैश्विक नेता शामिल होते हैं, जो इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों और भारत के साथ सहयोग तथा निवेश के संभावित क्षेत्रों का पता लगाने के लिए विचार-विमर्श करते हैं. बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी 20 अक्टूबर को शाम छह बजे वीडियो कांफ्रेंस के जरिए तेल एवं गैस क्षेत्र के वैश्विक सीईओ और विशेषज्ञों से बातचीत करेंगे. इस बातचीत का व्यापक विषय स्वच्छ वृद्धि और संवहनीयता को बढ़ावा देना है.
इन मुद्दों पर होगी चर्चा
पीएमओ के मुताबिक बातचीत के दौरान भारत में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में खोज और उत्पादन को प्रोत्साहित करने, ऊर्जा आत्मनिर्भरता, गैस आधारित अर्थव्यवस्था, स्वच्छ और ऊर्जा कुशल समाधानों के जरिए उत्सर्जन में कमी, हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था और जैव ईंधन उत्पादन में बढ़ोतरी जैसे क्षेत्रों पर चर्चा होगी.
बयान में कहा गया कि प्रमुख बहुराष्ट्रीय निगमों और शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सीईओ और विशेषज्ञ इस चर्चा में भाग लेंगे. इस मौके पर केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी मौजूद रहेंगे.
वर्ष 2016 में हुई थी इसकी शुरुआत
यह ऐसी छठी वार्षिक बातचीत है, जिसकी वर्ष 2016 में शुरुआत हुई थी. यह तेल एवं गैस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देशों की भागीदारी का प्रतीक है. ये अग्रणी देश तेल और गैस क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और भारत के साथ सहयोग एवं निवेश के संभावित क्षेत्रों का पता लगाते हैं.
रिकॉर्ड हाई पर कच्चा तेल
कोविड-19 के प्रकोप के बाद, कच्चे तेल (Crude Oil) की इंडियन बास्केट के लिए कच्चे तेल की कीमतें पिछले साल अप्रैल में पहली लहर के दौरान गिरकर 19.90 डॉलर हो गई थीं. पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों से पता चलता है कि तब से कीमतें तेजी पर हैं और सितंबर में 73.13 डॉलर प्रति बैरल थीं.
भारत ने 2020-21 में कच्चे तेल के आयात पर 62.71 अरब डॉलर, 2019-20 में 101.4 अरब डॉलर और 2018-19 में 111.9 अरब डॉलर खर्च किए हैं.
भारत अपनी 85 फीसदी तेल मांग और 55 फीसदी प्राकृतिक गैस जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. भारत का घरेलू तेल उत्पादन लगातार लड़खड़ा रहा है, गैस उत्पादन में तेजी आई है. भारत का घरेलू ऊर्जा उत्पादन कम रहा है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है. पिछले वित्त वर्ष में भारत के कच्चे तेल और तेल एवं गैस के उत्पादन में क्रमशः 5.22 फीसदी और 8.06 फीसदी की गिरावट आई है.
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