नई दिल्ली (New Delhi)। पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अमेरिका (America) और मिस्र (Egypt) की राजकीय यात्रा पर गए हैं. दो देशों के अपने इस दौरे के दूसरे चरण में पीएम 24 से 25 जून तक मिस्र की राजकीय यात्रा पर काहिरा (Cairo) जाएंगे। पीएम मोदी का ये दौरा भारत और मिस्र के रिश्तों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री शनिवार (24 जून) को मिस्र की राजधानी काहिरा में लगभग 1,000 साल पुरानी अल-हकीम मस्जिद (Al-Hakim Mosque) में जाएंगे. जो भारत के दाऊदी बोहरा मुसलमानों (Dawoodi Bohra) के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है।
दाऊदी बोहरा समुदाय के साथ प्रधानमंत्री मोदी के कई वर्षों पुराने और मधुर संबंध रहे हैं. मिस्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, इस मस्जिद को नवीनीकरण के बाद फिर से खोला गया, जिसे पूरा होने में छह साल लग गए. इस काम में दाऊदी बोहरा समुदाय ने भी सहायता की है. पीएम मोदी ने अक्सर ये बात कही है कि दाऊदी बोहरा ने गुजरात में उनकी कई बार मदद की है।
दाऊदी बोहरा समुदाय से पीएम के खास संबंध
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 2011 में, नरेंद्र मोदी ने दाऊदी बोहरा समुदाय के तत्कालीन धार्मिक प्रमुख सैयदना बुरहानुद्दीन का 100वां जन्मदिन मनाने के लिए समुदाय को आमंत्रित किया था. 2014 में उनके निधन के बाद पीएम मोदी उनके बेटे और उत्तराधिकारी सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए मुंबई भी गए थे. 2015 में पीएम मोदी ने समुदाय के वर्तमान धार्मिक प्रमुख सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन से दोबारा मुलाकात की थी. जिनके साथ उनके हमेशा सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं।
भारतीय सैनिकों को देंगे श्रद्धांजलि
पीएम मोदी काहिरा में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान का दौरा करेंगे, जो एक पवित्र स्थल है जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फिलिस्तीन में सेवा करने वाले और मारे गए भारतीय सेना के लगभग 4,000 सैनिकों के स्मारक के रूप में कार्य करता है. पीएम मोदी यहां भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे।
गेम चेंजर के रूप में देखी जा रही ये यात्रा
मिस्र के राजदूत वेल मोहम्मद अवद हमीद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिस्र यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों के लिए गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है. जिसमें दोनों पक्षों को सुरक्षा से लेकर व्यापार और निवेश तक के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की उम्मीद है। हमीद ने कहा कि सैन्य उपकरणों के सह-उत्पादन के अलावा, दोनों पक्ष स्वेज कैनाल आर्थिक क्षेत्र के भीतर भारत के लिए एक समर्पित स्लॉट की मिस्र की पेशकश पर चर्चा करेंगे।
क्या कहा मिस्र के राजदूत ने?
उन्होंने कहा कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र की आखिरी द्विपक्षीय यात्रा 1997 में हुई थी. उस समय, मिस्र और भारत में एक अलग नेतृत्व था और दुनिया अलग थी. एक राजदूत के रूप में, मेरे लिए यह देखना बहुत निराशाजनक था कि मिस्र-भारत संबंध, जो परंपरागत रूप से बहुत मजबूत थे, उसी गति के साथ जारी नहीं रहे जो 1950 और 1960 के दशक में थे. दुर्भाग्य से, 1990 के दशक में और इस सदी के पहले दो दशक में ये रिश्ते ज्यादा आगे नहीं बढ़े।
मिस्र के राष्ट्रपति थे गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि
मिस्र के राजदूत ने कहा कि अब दोनों देश करीब आ रहे हैं. 2022 में हमारे राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को भारत के गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी आमंत्रित किया था. मैं इसे गेम-चेंजर के रूप में देखता हूं. प्रधानमंत्री मोदी और हमारे राष्ट्रपति, दोनों नेताओं की प्राथमिकताएं समान हैं- अपने देशों का आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण, रोजगार पैदा करना, विकास और पर्यावरण जागरूकता. मिस्र को भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत अतिथि देश के रूप में आमंत्रित भी किया गया है।
भारत-मिस्र के बीच इन क्षेत्रों में हो सकती है डील
पीएम की यात्रा के दौरान होने वाली डील्स की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कृषि, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों, सूचना प्रौद्योगिकी, व्यापार और संस्कृति पर चार या पांच समझौते हैं, जो हमारे संबंधों का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है. हम रणनीतिक साझेदारी समझौते को तैयार करने के लिए भी काम कर रहे हैं और उम्मीद है कि यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
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