नई दिल्ली (New Delhi) । एक तरफ केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) यानी समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में जुटी हुई है। मोदी सरकार के इस कदम ने एकजुट होते विपक्ष (Opposition) के बीच दरार पैदा कर दी है। जहां, कुछ विपक्षी दल यूसीसी के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और शिवसेना (यूबीटी) इसके पक्ष में आ गए हैं। हालांकि कुछ विपक्षी नेताओं को इस बात का भरोसा है कि यूसीसी 23 जून को पटना में मीटिंग के दौरान बनी उनकी एकजुटता पर असर नहीं डाल पाएगा।
सभी मुद्दों पर एक राय होना जरूरी तो नहीं
कांग्रेस और टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जरूरी नहीं कि किसी मुद्दे पर सभी 15 दलों की राय एक समान हो। अब मध्य जुलाई में बेंगलुरू में होने वाली विपक्ष की बैठक में नौकरी, आर्थिक संकट और विपक्षी दलों के शासन वाले प्रदेशों में केंद्र के हस्तक्षेप के आरोपों पर बात होगी। टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सभी 15 दल एक-दूसरे की फोटोकॉपी तो हैं नहीं। उन्होंने कहा कि सभी मुद्दों पर सभी दलों का सहमत न होना कोई बड़ी बात नहीं है। पटना में हुई बैठक के बाद दूसरी बैठक में हम सभी उन मुद्दों के साथ जाएंगे जिन पर हमारी सौ फीसदी सहमति है। आगे के रास्ते पर बड़े स्तर पर पूर्ण सहमति है।
विपक्ष ने यह कहा
कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि पटना में बैठक के दौरान 15 में से 14 दल कॉमन एजेंडे पर एकता को लेकर सहमत थे। इसके तहत तय हुआ था कि भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष की इस बैठक के दौरान हमने दिखाया था कि पार्टी विशेष के मुद्दों से हमें कैसे पार पाना है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली ऑर्डिनेंस पर ही ध्यान दे रहे थे और कांग्रेस से सहयोग चाहते थे। लेकिन ममता बनर्जी और उमर अब्दुल्ला ने इस पर हस्तक्षेप किया। उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल को बताया कि इस बैठक में इससे भी बड़े मुद्दों पर चर्चा होनी है।
ध्यान भंग कर रही भाजपा
उधर डेरेक ओ ब्रायन का दावा है कि यूसीसी के जरिए भाजपा ध्यान भंग करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जब आप नौकरियां नहीं दे पा रहे हैं, चीजों के दाम नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं। सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहे हैं। अपने वादों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो 2024 से पहले इस तरह का दांव खेल रहे हैं।
गौरतलब है कि यूसीसी कानूनों का एक कॉमन सेट होगा, जिसमें विभिन्न धर्मों और जनजातियों के प्रथागत कानून समाहित होंगे। साथ ही यह विवाह, तलाक, विरासत जैसे विभिन्न मुद्दों को नियंत्रित करेगा। संविधान में, यह राज्य के नीति के गैर-न्यायसंगत निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा है। वहीं, साल 2018 में विधि आयोग ने कहा था कि इस स्तर पर यूसीसी न तो जरूरी है और न ही इसकी इच्छा होनी चाहिए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved