जयपुर (Jaipur) । राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan assembly elections) के अंतिम चरण में पीएम मोदी (PM Modi) ने लगातार अपनी सभाओं में राजेश पायलट (Rajesh Pilot) का जिक्र कर गहलोत-पायलट (Gehlot-Pilot) में क्लेश को फिर तूल दे दिया। पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शाही परिवार ने राजेश पायलट को अपमानित किया। उनके बेटे को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। पीएम मोदी ने राजेश पायलट का जिक्र कर गुर्जरों को साधने की कोशिश की है, जो कि राज्य की 35-40 सीटों पर प्रभावी है। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि पूरे एपिसोड में सचिन पायलट ने पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलकर सेल्फ गोल कर लिया है। सचिन पायलट ने साफ कहा- कांग्रेस से उनका दिल का रिश्ता है। पीएम मोदी ने झूठ बोला है। इंदिरा गांधी ही स्वर्गीय राजेश पायलट को राजनीति में लाई थी।
सचिन पायलट के बहाने गुर्जर वोट बैंक पर नजर
सियासी जानकारों का कहना है कि पीए मोदी ने चुनाव के अंतिम चरण में जिस प्रकार गहलोत-पायलट विवाद को तूल दिया है। उससे साफ जाहिर है कि पीएम मोदी कांग्रेस की फूट का सियासी लाभ उठाना चाहते है। पीएम मोदी की मंशा गुर्जर वोर्टर पर भी है। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस को गुर्जर बाहुल्य सीटों पर बंपर जीत मिली थी। लेकिन इस बाक मुकाबला कांटे का है। पीए मोदी बार-बार राजेश पायलट का जिक्र कर कांग्रेस को घेरते रहे। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट ने पीएम मोदी को उसी की भाषा में जवाब देकर कांग्रेस में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। सियासी जानकार यह अच्छी तरह से जानते है कि कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति सचिन पायलट की निष्ठा सवालों से परे हैं। आक्रामकता उनके व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं है लेकिन राजनीति में एक बड़े मैनिपुलेटर के तौर पर उन्हें देखा जाता हैं। सचिन पाय़लट का पीएम मोदी के खिलाफ अचानक बेहद आक्रामक हो जाना उनकी राजनीतिक शैली में नहीं आता। ऐसे में सवाल यही है कि क्या सचिन पायलट ने आर-पार के लिए जो मोर्चा खोला है वो दिल से है या दिखावा है?
सचिन पायलट ने निभाई वफादारी ?
सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट ने जिस तरह से मोदी को जवाब देने के शब्दों का इस्तेमाल किया है। उससे साफ जाहिर है कि गांधी परिवार के प्रति वफादार है। राजेश पायलट पर दिए बयान पर पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा- प्रधानमंत्री झूठ बोलो योजना के तहत झूठ बोला गया है। हकीकत यह है कि स्वर्गीय राजेश पायलट को इंदिरा गांधी ही राजनीति में लाई थी। सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट ने जिस तरह से पीएम मोदी का जवाब दिया है, उसका सियासी फायदा आने वक्त में मिल सकता है। राजस्थान की राजनीति में गहलोत-पायलट विवाद किसी से छिपा नहीं है। पूरे पांच साल सचिन पायलट सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चो खोले हुए थे। ऐसे में चुनाव से पहले जो दोनों नेताओं में सुलह कराने के लिए कांग्रेस आलाकमान को आगे आना पड़ा। पूरी चुनाव प्रक्रिया में सचिन पायलट सरकार रिपीट होने की बात कहते रहे हैं। सियासी जानकार इसे कांग्रेस के लिए सुखद संकेत मानकर चल रहे हैं।
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