नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) 7 जुलाई को (On 7 July) वाराणसी में (In Varansi) एनईपी के कार्यान्वयन पर (On Implementation of NEP) तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम (Akhil Bhartiya Shiksha Samagam) का उद्घाटन करेंगे (To Inaugurate) । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के 300 से अधिक कुलपति विचार-विमर्श करेंगे।
कुलपतियों, निदेशकों, शिक्षाविदों, नीति निमार्ताओं के साथ-साथ उद्योग के प्रतिनिधि यह विचार-विमर्श करेंगे कि देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन को कैसे और आगे बढ़ाया जा सकता है। खासतौर पर तब जबकि पिछले दो वर्षों में कई पहलों के सफल कार्यान्वयन किया गया है।उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने में रणनीतियों, सफलता की कहानियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा, विचार-विमर्श और अंतर्²ष्टि साझा करने के लिए अग्रणी भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एचईआई) के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ मिलकर कई नीतिगत पहलों को शुरू किया है। इनमें अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एग्जिट, उच्च शिक्षा में बहु अनुशासन और लचीलापन, ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लनिर्ंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विनियम, वैश्विक मानकों के साथ इसे और अधिक समावेशी बनाने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को संशोधित करने, बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने और दोनों को शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने, कौशल शिक्षा को मुख्य धारा में लाने एवं आजीवन सीखने को बढ़ावा देने जैसी पहल शामिल हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक कई विश्वविद्यालय पहले ही इस कार्यक्रम को अपना चुके हैं, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे हैं जिनके लिए इन परिवर्तनों को अपनाना और उनके अनुकूल होना बाकी है। चूंकि देश में उच्च शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र केंद्र, राज्यों और निजी संस्थाओं तक फैला हुआ है, इसलिए नीति कार्यान्वयन को और आगे ले जाने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है।मंत्रालय का कहना है कि परामर्श की यह प्रक्रिया क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। प्रधानमंत्री ने पिछले महीने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मुख्य सचिवों के एक सेमिनार को संबोधित किया था जहां राज्यों ने इस मुद्दे पर अपनी अंतर्²ष्टि साझा की। इस संबंध में परामशरें की श्रृंखला में वाराणसी शिक्षा समागम की अगली कड़ी है।
7 से 9 जुलाई तक चलने वाले तीन दिनों के इस समागम के कई सत्रों में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा होगी।इस शिखर सम्मेलन से विचारोत्तेजक चचार्ओं के लिए एक ऐसा मंच मिल सकने की उम्मीद है जो कार्ययोजना और कार्यान्वयन रणनीतियों को स्पष्ट करने के अलावा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा और अंत विषय विचार-विमर्श के माध्यम से एक नेटवर्क का निर्माण करने के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेगा और उचित समाधानों को स्पष्ट करेगा। अखिल भारतीय शिक्षा समागम का मुख्य आकर्षण उच्च शिक्षा पर वाराणसी घोषणा को स्वीकार करना होगा जो उच्च शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए भारत की विस्तारित ²ष्टि और नए सिरे से उसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved