नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों से मुलाकात की और बातचीत की. इस दौरान शिक्षकों ने अपने अनुभवों के बारे में बताया और साथ ही पीएम मोदी ने भी अपने बचपन की यादें साझा की. उन्होंने कहा कि ‘जब मैं छोटा था, तो मेरे स्कूल के शिक्षक मुझसे आग्रह करते थे कि मैं राजाजी द्वारा लिखी गई रामायण को धीरे-धीरे पढ़ना शुरू करूं’. साथ ही उन्होंने शिक्षकों को स्थानीय लोककथाओं को अपने पाठों में शामिल करने और छात्रों को विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों से परिचित कराने के लिए उन्हें विभिन्न भाषाओं में पढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
उन्होंने सलाह दी कि ‘स्थानीय लोककथाओं को विभिन्न भाषाओं में पढ़ाएं, ताकि छात्र अनेक भाषाएं सीख सकें और हमारी जीवंत संस्कृति का अनुभव कर सकें’. पीएम ने कहा, ‘आज के युवाओं को विकसित भारत के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी शिक्षकों के हाथों में है’. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और शिक्षा पर इसके प्रभाव पर चर्चा की और अपनी मातृभाषा में सीखने के महत्व के बारे में बात की.
उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि शिक्षक छात्रों को भारत की विविधता का पता लगाने में मदद करने के लिए शैक्षिक भ्रमण का आयोजन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियों से न केवल सीखने की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा. साथ ही उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पुरस्कार विजेता शिक्षकों को सामूहिक शिक्षा और सुधार को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ना चाहिए.
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वालों में जम्मू और कश्मीर की उरफाना अमीन शामिल थीं, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान शैक्षिक सामग्री विकसित की. इसके अलावा पुरस्कार समारोह में आईआईटी-दिल्ली की प्रोफेसर निधि जैन, आईआईटी-रुड़की के प्रोफेसर विनय शर्मा और आईआईएसईआर पुणे के प्रोफेसर श्रीनिवास होथा को भी केमिस्ट्री और पर्यावरण मैनेजमेंट में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया.
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