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    PM मोदी ने आलोचकों का किया मुंह बंद, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने का लगा था आरोप

  • February 04, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi) । भाजपा (BJP) के दो सबसे बड़े नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को अब नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित कर दिया है. 2015 में वाजपेयी को और उसके ठीक 9 साल बाद 96 वर्ष की उम्र में आडवाणी को, दोनों ही नेताओं को उनके जीवनकाल में ही भारत रत्न से सम्मानित किया गया है, इससे उन आलोचकों का मुंह बंद हो गया, जिन्होंने नरेंद्र मोदी पर भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया था.

    सत्ता में आने के तुरंत बाद 2015 में मोदी सरकार ने आडवाणी को परम विभूषण से भी सम्मानित किया था. अब, 96 साल की उम्र में, एक बड़े कदम के तहत आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है जो मोदी की राजनीतिक विरासत साबित होगी. यह मोदी सरकार के इस दावे को भी पुख्ता करता है कि उन्होंने राजनीतिक स्पेक्ट्रम के दोनों पक्षों के दिग्गजों के राजनीतिक योगदान को स्वीकार किया है, जिसे कांग्रेस ने नजरअंदाज कर दिया था.

    उदाहरण के लिए, प्रणब मुखर्जी और मदन मोहन मालवीय जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को भी मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया, साथ ही समाजवादी आइकन कर्पूरी ठाकुर को भी इस वर्ष सम्मानित किया गया. पीएम मोदी ने शनिवार को अपने संदेश में कहा कि उन्होंने भाजपा के वास्तुकार रहे आडवाणी से बहुत कुछ सीखा है.


    आडवाणी पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से हैं, जो 1990 में भाजपा को राम जन्मभूमि आंदोलन का राजनीतिक चेहरा बनाकर सुर्खियों में आए. उन्होंने 1980 में पार्टी की सह-स्थापना की और तीन बार पार्टी अध्यक्ष रहे. उन्होंने उप-प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता थे और 2009 के चुनावों में पार्टी के प्रधानमंत्री पद का चेहरा बने. 2014 में, आडवाणी मुरली मनोहर जोशी के साथ पार्टी के मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा बने.

    आडवाणी का राजनीतिक उदय 1990 में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर के निर्माण के लिए दबाव डालने के लिए उनकी राम रथ यात्रा से हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के आदेश पर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें बिहार में रोक दिया था.

    1992 में, जब कार सेवकों ने 6 दिसंबर को मस्जिद को ध्वस्त कर दिया, तो आडवाणी पर साइट के पास भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था. सीबीआई ने उन पर और अन्य भाजपा नेताओं पर बाबरी मस्जिद को गिराने में आपराधिक साजिश का आरोप लगाया था. अट्ठाईस साल बाद, 2020 में, एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मामले में आडवाणी को बरी कर दिया और कहा कि मस्जिद का विध्वंस एक त्वरित कार्रवाई थी और इसके लिए पहले से कोई साजिश नहीं रची गई थी. 2022 में हाईकोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा.

    पार्टी का चेहरा होने और सुषमा स्वराज, प्रमोद महाजन और अरुण जेटली जैसे कई बीजेपी दिग्गजों को बढ़ाने के बावजूद, आडवाणी कभी भी प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को साकार नहीं कर सके. 2013-14 में मोदी के उदय ने आडवाणी को किनारे कर दिया. लेकिन, पीएम मोदी ने आडवाणी के प्रति अपना अटूट सम्मान बनाए रखा, जिसमें हर साल उनके जन्मदिन पर उनसे मिलने जाना भी शामिल था.

    2015 में पद्म विभूषण और अब भारत रत्न आडवाणी के प्रति पीएम मोदी के सम्मान को दिखाता है और उन लोगों को चुप करा देता है जिन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आडवाणी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया था. आडवाणी ने इस कार्यक्रम को छोड़ने के लिए खराब मौसम की स्थिति का हवाला दिया था.

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