ऋषिकेश । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चंद्रेश्वर नगर, लक्कड़ घाट और मुनि की रेती क्षेत्र के चोर पानी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लोकार्पण किया। 238 करोड़ रुपये की लागत से तैयार चंद्रेश्वर नगर के प्लांट की क्षमता 75. 5 एमएलडी, लक्कड़ घाट के प्लांट की क्षमता 26 एमएलडी और मुनि की रेती क्षेत्र के चोर पानी के प्लांट की क्षमता 5 एमएलडी है। इनका निर्माण प्रधानमंत्री के मेगा प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत किया गया है। नमामि गंगे परियोजना प्रधानमंत्री की पहल पर गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए शुरू की गई है।
ऑनलाइन लोकार्पण समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री व हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशं, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया और गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत भी मौजूद रहे।
इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि गंगा सभी नदियों में से एक पवित्र नदी है। वह हिमालय से निकल कर दो हजार किलोमीटर की दूरी तय कर किसानों ,मजदूरों व आमजन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा अभी किसी कारण कुछ नाले गगांं में गिर रहे हैं। उन्हें कुंभ से पूर्व टेप कर लिया जाएगा। गंगा की स्वच्छता के लिए जन जागरण अभियान भी चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गंगा के किनारे रहने वाले लोगों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। लोग खेतों में कंपोस्ट खाद का उपयोग कर रहे हैं। मुख्यंत्री त्रिवेंद्र ने प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया कि हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ में गंगा की स्वच्छता के लिए किए गए कार्य साफ दिखाई देंगे।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रेश्वर नगर में बने मल्टी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ मुनी की रेती के चोर पानी में के एसटीपी को भी जनता को समर्पित किया । इनसे चंद्रेश्वर नाला , ढाल वाला नाला एवं शमशान घाट के दूषित जल को साफ किया जा सकेगा। चंद्रेश्वर नगर का एसटीपी देश का पहला मल्टीस्टोरी एसटीपी है। इसकी ऊंचाई 21 मीटर है। एसटीपी से शोधित जल का सिंचाई के लिए भी उपयोग होगा।इस अवसर पर जल निगम के प्रबन्ध निदेशक एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी वीसी पुरोहित, महापौर अनीता ममगांंई ,पर्यावरणविद् विनोद जुगरान, एनएमसीजी के अधिकारी प्रवीण कुमार मोतिहार, विद्युत उपखण्ड अधिकारी राजीव कुमार, नमामि गंगे अनुरक्षण एवं निर्माण इकाई (गंगा)के परियोजना प्रबन्धक एके चतुर्वेदी, प्रवर अभियन्ता आरके सिंह आदि मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश के लक्कड़घाट का 26 एमएलडी का क्षमता वाला सीवर ट्रीटमेंट प्लांट देश के सबसे आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांटों में एक है। यह पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड और देश का दूसरा प्लांट है। इसके निर्माण पर 158 करोड़ रुपये की लागत आई है । इससे पहले हरिद्वार में इस तरह के प्लांट की शुरुआत हो चुकी है। लक्कड़घाट सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े अधिकारियों का कहना है, कि यह पूरी तरह ऑटोमोड में संचालित होगा। इस प्लांट से ( ट्रीट) साफ किए गए पानी को सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा। यह 5 हेक्टेयर में बना है। नमामि गंगे परियोजना के प्रबंधक अरविंद चतुर्वेदी का कहना है कि आमतौर पर इतने बड़े प्लांट को बनाने में लगभग चार साल का समय लगता है। प्रधानमंत्री के मेगा प्रोजेक्ट के अंतर्गत यह प्लांट दो साल में तैयार किया गया है। ऋषिकेश की आबादी बढ़ने पर भी इस एसटीपी पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। यह इको फ्रेंडली प्लांट है। इसका पानी साफ-सुथरा रहेगा । इसकी मॉनिटरिंग यहां लगे स्क्रीन पर भी हो सकेगी । दिल्ली में बैठे अफसर भी इसके जल की गुणवत्ता की निगरानी कर सकेंगे। कार्यदायी संस्था 15 साल तक इसकी देखरेख करेगी ।
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