नई दिल्ली: राजधानी (Delhi) के विज्ञान भवन में बैंक जमा बीमा कार्यक्रम (Bank Deposit Insurance Programme) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के एक बयान से पूरा भवन हंसी के ठहाकों से गूंज उठा. दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त जब कभी भी बैंक में तूफान खड़ा हो जाता था तो लोग हमारा ही गला पकड़ते थे. निर्णय चाहे भारत सरकार को करना होता था या फिर बैंक को करना होता, लेकिन गला मुख्यमंत्री का ही पकड़ा जाता था.
उन्होंने कहा, ‘हर कोई यही कहता था कि हमारे पैसे का कुछ करो. उस समय मुझे काफी परेशानी होती थी. उनका दर्द भी स्वाभाविक था. उस समय मैंने कई बार केंद्र सरकार से कहा था कि एक लाख की राशि को हमें पांच लाख तक बढ़ाना चाहिए. ताकि ज्यादा से ज्यादा परिवारों को हम संतुष्ट कर सकें. लेकिन कभी मेरी बात नहीं मानी गई. उन्होंने नहीं किया. उन्होंने नहीं किया तो लोगों ने किया और मुझे यहां भेज दिया और मैंने कर भी दिया.’
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले जहां पैसा वापसी की कोई समय सीमा नहीं थी, अब हमारी सरकार ने इसे 90 दिन यानि 3 महीने के भीतर अऩिवार्य किया है. उन्होंने कहा कि ‘दशकों से चली आ रही एक बड़ी समस्या का कैसे समाधान निकाला गया है, आज का दिन उसका साक्षी बन रहा है. आज के आयोजन का जो नाम दिया गया है, उसमें डिपॉजिटर्स फर्स्ट की भावना को सबसे पहले रखना, इसे और सटीक बना रहा है. बीते कुछ दिनों में एक लाख से ज्यादा जमाकर्ताओं का बरसों से फंसा हुआ उनका पैसा वापस मिला है. ये राशि 1300 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है.’
#WATCH | When I was CM, I repeatedly requested Centre to increase bank deposit insurance cover to Rs 5 lakhs from Rs 1 lakh but to no avail. So people sent me here to do it: PM Modi at an event on ‘Depositors First: Guaranteed Time-bound Deposit Insurance Payment up to Rs 5 Lakh’ pic.twitter.com/GoEE34Jy2r
— ANI (@ANI) December 12, 2021
हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख कर दिया- PM
पीएम ने कहा कि हमारे देश में बैंक डिपॉजिटर्स के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी. पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी. फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था. यानि अगर बैंक डूबा, तो जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलने का प्रावधान था. ये पैसे भी कब मिलेंगे, इसकी कोई समय सीमा नहीं तय थी. गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख रुपए कर दिया है.
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