नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को लाल किले (Red Fort) पर आयोजित सिख गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व समारोह (Guru Tegh Bahadur 400th Prakash Parv Celebrations) में भाग लिया और इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट (Commemorative coin and postage stamp) भी जारी किया। इस 2 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से किया गया है। कार्यक्रम के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चों ने ‘शबद कीर्तन’ प्रस्तुत किया, जिसे प्रधानमंत्री ने बड़े गौर से सुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर लोगों को संबोधित भी किया।
‘हिन्द दी चादर बनकर खड़े हो गए थे गुरु तेगबहादुर’
पीएम मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में कहा, ‘भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने, भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है।’
We bow to Sri Guru Tegh Bahadur Ji on his Parkash Purab. https://t.co/c1uRCOSZta
— Narendra Modi (@narendramodi) April 21, 2022
भव्य लाइट एंड साउंड शो भी किया गया पेश
इस अवसर पर गुरु तेग बहादुर जी के जीवन को दर्शाने वाला एक भव्य लाइट एंड साउंड शो भी पेश किया गया। यह कार्यक्रम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के उपदेशों को रेखांकित करने पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था। उनकी पुण्यतिथि (24 नवंबर) हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं।
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