नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) विजय दिवस (Vijay Diwas) के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर स्वर्णिम विजय मशाल (Swarnim Vijay Mashaals) के सम्मान समारोह में पहुंचकर युद्ध में शहीद हुए जवानों (Martyrs) को श्रद्धांजलि अर्पित की (Pays Tribute) ।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 1971 के भारत पाक में शहादत देने वाले भारतीय सेना के जवानों के पराक्रमण और बलिदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि 50वें विजय दिवस के अवसर पर मैं वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवानों की वीरता और बलिदान को याद करता हूं। उन्होंने कहा कि हमने साथ मिलकर दमनकारी ताकतों से लड़ाई लड़ी और विजय हासिल की। ढाका में राष्ट्रपति जी की उपस्थिति भारतीयों के लिए बेहद अहम है।
पीएम मोदी ने आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशाल के सम्मान समारोह में हिस्सा लिया। सम्मान समारोह में पहुंचकर पीएम ने युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस दौरान चार मशालों को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर प्रज्वलित मशाल के साथ मिलाया। बता दें कि इन मशालों को देशभर में घुमाया गया था। वहीं विजय दिवस के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते कहा कि भारतीय सैनिकों के अद्भुत साहस और पराक्रम के प्रतीक ‘विजय दिवस’ की स्वर्ण जयंती पर वीर सैनिकों को नमन करता हूं। 1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने दुश्मनों पर विजय कर मानवीय मूल्यों के संरक्षण की परंपरा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा था। सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं।
देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विजय दिवस के समारोह में हिस्सा लेने के लिए इन दिनों बांग्लादेश दौरे पर हैं। उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद द्वारा गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर समारोह में आमंत्रित किया गया है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला ने बुधवार को बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद फिर से बनाए गए श्री रमना काली मंदिर का भी उद्घघाटन करेंगे। इस मंदिर को 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान पाकिस्तानी सेनाओं द्वारा पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया था।
बता दें कि 1971 में आज ही के दिन पूर्वी पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी और पूर्वी पाकिस्तान में स्थित पाकिस्तानी सैन्य बलों के कमांडर ने बांग्लादेश के गठन के लिए ‘इंन्स्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर’ पर हस्ताक्षर किए थे। नियाजी ने ढाका में भारतीय और बांग्लादेश बलों का प्रतिनिधित्व कर रहे जगजीत सिंह अरोरा की उपस्थिति में ये हस्ताक्षर किए थे। 1971 में 9 महीने तक चले युद्ध के बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।
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