नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को कोपेनहेगन (Copenhagen) में अपने नॉर्वे (Norway) के प्रधानमंत्री जोनस गहर स्टोर (PM Jonas Gahar Store) से मुलाकात की (Meets) और द्विपक्षीय संबंधों (Bilateral Relations) की समीक्षा करने (Reviews) के साथ ही सहयोग के भावी क्षेत्रों पर भी चर्चा की (Future Areas of Cooperation were also Discussed) । यह बैठक कोपेनहेगन में दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन से इतर हुई। अक्टूबर, 2021 में प्रधानमंत्री स्टोर द्वारा पदभार ग्रहण करने के बाद से दोनों राजनेताओं के बीच यह पहली बैठक थी।
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में चल रही गतिविधियों की समीक्षा की और सहयोग के भविष्य के क्षेत्रों पर चर्चा की।” प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि नॉर्वे का कौशल और भारत की संभावनाएँ प्राकृतिक तौर पर एक-दूसरे की पूरक हैं। दोनों नेताओं ने जल से जुड़ी अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी), नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सौर और पवन परियोजनाओं, हरित पोत परिवहन, मत्स्य पालन, जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, अंतरिक्ष सहयोग, दीर्घकालिक अवसंरचना निवेश, स्वास्थ्य और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने की क्षमता पर चर्चा की। इस दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी चर्चा हुई। सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के रूप में, भारत और नॉर्वे संयुक्त राष्ट्र में पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर एक-दूसरे को सहयोग देते रहे हैं।
मोदी जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस के तीन दिवसीय दौरे पर हैं, जो 2 मई से शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना है। 2022 में प्रधानमंत्री की ये पहली विदेश यात्राएं हैं। मंगलवार को मोदी ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी और क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की थी। दोनों नेताओं ने आमने-सामने बातचीत की थी, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-डेनमार्क हरित सामरिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की। चर्चा में अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से अपतटीय पवन ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन के साथ-साथ कौशल विकास, स्वास्थ्य, शिपिंग, पानी और आर्कटिक में सहयोग शामिल रहा। प्रधानमंत्री ने फ्लैगशिप कार्यक्रमों में भारत में डेनिश कंपनियों के सकारात्मक योगदान की सराहना की। इस दौरान प्रधानमंत्री फ्रेडरिकसन ने डेनमार्क में भारतीय कंपनियों की सकारात्मक भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
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