नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर जवाब दिया। संसद के बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने किसान आंदोलनों पर जमकर हंगामा किया और सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इसको लेकर आज प्रधानमंत्री ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए किसानों का भ्रम दूर करने की कोशिश की। पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) था, है और आगे भी रहेगा।
राज्यसभा में कृषि सुधारों पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब लाल बहादुर शास्त्री जी को कृषि सुधारों को करना पड़ा, तब भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वे पीछे नहीं हटे थे। उन्होंने कहा कि तब लेफ्ट वाले कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट बताते थे, आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कानून आया हो, कुछ वक्त के बाद सुधार होते ही हैं।
पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा दिलाया कि MSP है, था और रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि मंडियों को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने साथ ही बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए दूसरे उपाय पर भी जोर दिया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि अगर अब देर करेंगे तो किसानों को अंधकार की तरफ धकेल देंगे।
प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन को लेकर भी बात की। प्रधानमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि हमें आंदोलनकारियों को समझाते हुए आगे बढ़ना होगा। वे बोले कि गालियों को मेरे खाते में जाने दीजिए लेकिन सुधारों को होने दीजिए। पीएम मोदी ने अपील की कि जो बुजुर्ग आंदोलन में बैठे हैं, उन्हें घर जाना चाहिए। वह आंदोलन खत्म करें और चर्चा आगे चलती रहे। किसानों के साथ लगातार बात की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमें ये तय करना होगा कि हम समस्या का हिस्सा बनेंगे या समाधान का माध्यम। उन्होंने कहा कि राजनीति और राष्ट्रनीति में हमें किसी एक को चुनना होगा। पीएम मोदी बोले कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई, जो भी बताया गया वो आंदोलन को लेकर बताया गया लेकिन मूल बात पर चर्चा नहीं हुई। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा वक्त में जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम जमीन है, वो 68 फीसदी किसान हैं। 86 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। हमें अपनी योजनाओं के केंद्र में 12 करोड़ किसानों को रखना होगा।
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