नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने देश में कोरोना टीकाकरण अभियान (corona vaccination campaign) की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की बर्बादी पर चिंता जताते हुए राज्यों से इसे रोकने को कहा। इस दौरान प्रधानमंत्री को वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाने के लिए कंपनियों की मदद के खातिर की जा रही कोशिशों की भी जानकारी दी गई।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि सरकार टीका बनाने वाली कंपनियों को मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को बढ़ाने के साथ ही फंडिंग और कच्चे माल की सप्लाई में भी मदद दे रही है। पीएम मोदी ने तमाम राज्यों में टीकों की बर्बादी की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि बर्बादी की संख्या अब भी अधिक है और इसे कम करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है।
अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को टीकों की मौजूदा उपलब्धता और इसे बढ़ाने के लिए ‘रोडमैप’ के बारे में जानकारी दी। टीकों के उत्पादन में तेजी लाने में अलग-अलग टीका निर्माताओं की मदद करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी प्रधानमंत्री को जानकारी दी गई।
पीएमओ ने कहा कि भारत सरकार टीका निर्माताओं के साथ मिलकर काम कर रही है और उन्हें अधिक उत्पादन इकाइयों की स्थापना, कच्चे माल की आपूर्ति और वित्तपोषण में मदद कर रही है।
पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 45 साल से अधिक और 18-44 साल के आयु वर्ग के लोगों के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों में टीकाकरण कवरेज की स्थिति का भी जायजा लिया।
अधिकारियों ने उन्हें टीकाकरण की प्रक्रिया को लोगों के और अधिक अनुकूल बनाने के लिए तकनीकी मोर्चे पर किए जा रहे तमाम तरह के उपायों से भी अवगत कराया।
पीएमओ ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी बैठक में शामिल हुए।
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना टीकाकरण का बड़ा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत को समय हासिल करना होगा। उसने कहा कि यदि कोविड-19 की रोकथाम के उपायों, कोविड उपयुक्त व्यवहार या टीकाकरण में ढिलाई बरती गई तो मामले एक बार फिर बढ़ सकते हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘भारत बायोटेक के टीके ‘कोवैक्सीन’ को मान्यता दिलाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ आंकड़े साझा किए जा रहे हैं और हम इसे जल्द से जल्द हासिल करना चाहते हैं।’
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