धेमाजी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को धेमाजी जिला के सिलापथार में एक साथ डिजिटल रूप में पांच परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए पूर्व की सरकारों पर असम व पूर्वोत्तर की अनदेखी का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री मोदी ने असमिया भाषा में अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि तीसरी बार धेमाजी आने का उन्हें अवसर मिला है। यहां की आत्मीयता, अपनापन, यहां के लोगों का आशीर्वाद मुझे असम व पूर्वोत्तर के लिए कुछ न कुछ करने के लिए प्रेरणा देता है। जब गोगामुख में इंडियन एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट का उद्घाटन करने पहुंचा था तो मैंने कहा था कि पूर्वोत्तर देश के विकास का इंजन बनेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि धेमाजी से ही असमिया फिल्म ने अपनी यात्रा शुरू की थी। इस क्षेत्र ने असम के गौरव को बढ़ाने वाले लोगों को दिया है। भारत रत्न भूपेन हजारिका की कविता का जिक्र करते हुए कहा ब्रह्मपुत्र के दोनों किनारों से जलने वाले दीयों से यह क्षेत्र रोशन होगा। उन्होंने कहा कि बीती रात यहां के लोगों ने हजारों दीप जलाकर दीपावली मनायी। यह असम में शांति और विकास का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि असम सरकार राज्य का संतुलित विकास करने में जुटी है। ब्रह्मपुत्र के उत्तरी किनारे में भरपूर सामर्थ्य होने के बावजूद पहले की सरकारों ने इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया। यहां की कनेक्टिविटी हो, अस्पताल, शिक्षा संस्थान, उद्योग हो, पहले की सरकारों की प्राथमिकता में नहीं था। सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के आधार पर हमारी और सोनोवाल सरकार काम कर रही है। बोगी बिल पुल का वर्षों से लोगों को इंतजार था, इसको हमारी सरकार ने पूरा किया।
हमारी सरकार आने के बाद यहां पहुंचा ब्रॉडगेज : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार के आने के बाद यहां ब्रॉडगेज लाइन पहुंच गई है। कलियाभोमरा ब्रिज यहां की कनेक्टिविटी को और बढ़ायेगा जिसे भी तेजी से पूरा किया जा रहा है। फोर लेन के सड़क का कार्य तेजी से चल रहा है। महाबाहु-ब्रह्मपुत्र के जरिए जल कनेक्टिविटी का कार्य आरंभ हुआ है। बंगाईगांव के जोगीघोपा में लॉजिस्टिक पार्क बना है।
उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल की बंगाईगांव रिफाइनरी में आईएनडीएमएएक्स यूनिट, डिब्रूगढ़ के मधुबन में ऑयल इंडिया लिमिटेड के सेकेंडरी टैंक फार्म और तिनसुकिया जिला के माकुम स्थित हेबड़ा गांव में निर्मित एक गैस कंप्रेसर स्टेशन, धेमाजी इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ ही सुआलकुची में इंजीनियरिंग कॉलेज समेत ये परियोजनाएं असम को मजबूती देंगी। यह पूर्वी भारत के विकास को मजबूत बनाने का प्रतीक है। यह क्षमताओं में वृद्धि करना अपने आपमें महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इन सारे प्रोजेक्ट से असम और पूर्वोत्तर के लोगों का जीवन आसान होगा। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। जब मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं तो व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। इस आत्मविश्वास से क्षेत्र का विकास तथा देश का भी विकास होता है। आज हमारी सरकार उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं, जहां पर पहले सरकार नहीं पहुंची थी। हम सभी को सुविधा देने पर बल दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले तक देश के हर 100 परिवारों में से सिर्फ 50-55 परिवारों के पास एलपीजी गैस कनेक्शन था। असम में रिफाइनरी और सुविधाओं के बावजूद 100 में से 40 परिवारों के पास ही गैस कनेक्शन था। गरीब लोगों को रसोई के धुंए और रोगों के जाल में रहने को मजबूर किया था। अब असम में गैस कनेक्शन का दायरा लगभग 100 फीसद हो गया है। बंगाईगांव रिफाइनरी के इर्द-गिर्द जिलों में तीन गुना से अधिक एलपीजी के कनेक्शन बढ़ गये हैं। इस बार के बजट में एक करोड़ और मुफ्त गैस कनेक्शन देने का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने कहा कि बिजली, गैस, खाद उत्पादन की कमी का नुकसान हमारे देश के गरीब और छोटे किसानों को उठाना होता था। आजादी के बाद जिन 18 हजार गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी, उनमें अधिकांश गांव असम के थे। गैस की कमी के चलते खाद के कारखाने बंद हो गये थे। पहले की गलतियों को सुधारने के लिए हमारी सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री ऊर्जा योजना के तहत पूर्वी भारत को गैस पाइप लाइन से जोड़ा जा रहा है। नीति सही और साफ हो तो नियति बदल जाती है। इससे जन-जन का भाग्य बदलता है। गैस पाइप, आप्टीकल फाइबर, हर घर जल पहुंचाने के लिए काम हो रहा है। यह सब आधारभूत ढ़ांचा तैयार हो रहा है। इससे आम लोगों को सीधे तौर पर फायदा पहुंच रहा है।
आत्मनिर्भर भारत को देख रही पूरी दुनिया
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पूरी दुनिया देख रही है। भारत के इंजीनियर व टेक्नोक्रेटों की क्षमता को पूरी दुनिया मान रही है। असम के लोगों की क्षमता बेमिशाल है। यहां पर 20 से ज्यादा इंजीनियरिंग कालेज हो गये हैं। ऐसे ही तीन और इंजीनियरिंग कालेज बनाने की प्रक्रिया चल रही है। असम की सरकार बड़े स्तर पर काम कर रही है। असम सरकार यहां पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश कर रही है। इससे यहां के जनजातिय समाज, चाय बागान के बच्चों को बहुत अधिक लाभ होगा। इसमें स्थानीय भाषा में पढ़ाई, और कौशल पर बल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जब स्थानीय भाषा में मेडिकल की पढ़ाई होगी, टेक्निकल पढ़ाई होगी तो गरीब से गरीब के बच्चे भी डॉक्टर व इंजीनियर बन पाएंगे। असम जैसा राज्य जहां पर चाय, टूरिज्म, हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट आत्म निर्भरता की बड़ी ताकत है। यहां के युवा इस कौशल को स्कूल में ही सीखेंगे तो आत्मर्निर्भरता की नींव यहां से शुरू हो जाएगी। एकलव्य स्कूल का लाभ भी असम को मिलेगा। उन्होंने कहा कि असम की जमीन बहुत उपजाऊ रही है। यहां के किसानों को आधुनिक सुविधाएं मिले, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं। किसानों के बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करने, किसानों के लिए अन्य योजनाएं, अच्छे बीज देना, स्वायल हेल्थ कार्ड देना, आदि के लिए काम किया जा रहा है।
मछली पालन पर विशेष जोर देने का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए एक अलग मंत्रालय पहले ही बनाया गया है। आजादी के बाद जितना खर्च नहीं हुआ, उससे अधिक हमारी सरकार इस क्षेत्र में खर्च कर रही है। 20 हजार करोड़ रुपये बजट में मछली उत्पादन के लिए मुहैया कराया गया है। इससे असम को भारी लाभ मिलेगा। कृषि से जुड़े कानूनों में सुधार किया गया है।
असम के बागानों की बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि असम के विकास में चाय बागानों की बड़ी भूमिका है। चाय बागानों में काम करने वालों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कदम उठाया है। छोटे चाय उत्पादकों को जमीन का पट्टा देने का कार्य किया है, यह बेहतर कदम है। पहले की सरकारों ने दिसपुर को दिल्ली से दूर मान लिया था। लेकिन अब ऐसा नहीं, दिल्ली अब आपके दरवाजे पर है। केंद्र के मंत्री लगातार यहां पहुंचकर चीजों को समझकर योजनाएं बना रहे हैं। मैं भी अनेकों बार असम में आपके बीच पहुंचकर आपके विकास का सहभागी बनने की कोशिश कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि अब विकास के प्रगति के डबल इंजन को और अधिक मजबूत करने का आपके पास मौका आ रहा है। आपके सहयोग से, आपके आशीर्वाद से असम के विकास में और तेज गति आएगी। असम नयी ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि अब आप चुनाव का इंतजार कर रहे होंगे। पिछली बार चुनावों की घोषणा 04 मार्च को हुई थी। सभवतः इस बार भी मार्च के पहले सप्ताह यानी 07 मार्च तक हो सकती है। इससे पहले जितनी बार भी हो सके मैं असम, पश्चिम बंगाल, केरल आदि राज्यों का दौरा करता रहूंगा।
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