नई दिल्ली (New Delhi)। क्या भारत में जाति की राजनीति (caste politics in india) भविष्य में अपने नए स्वरूप में दिखेगी? यह राजनीति परंपरागत सामाजिक न्याय से जुड़ी जाति तक फिर से सीमित रहेगी या नई अवधारणा के साथ सामने आएगी? 2024 का लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha elections) इस अहम सवाल का जवाब देगा। विपक्ष परंपरागत सामाजिक न्याय की राजनीति (Politics of traditional social justice.) के सहारे मोदी सरकार (Modi government.) को जातियों की जंग में उलझाना चाह रहा है, तो जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने परंपरागत जातियों से इतर गरीब, महिला, युवा और किसान को ही देश की मुख्य चार जातियां बताकर नई अवधारणा गढ़ दी।
बिहार में जबसे जातीय गणना के आंकड़े जारी हुए हैं, जाति की सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस समेत विपक्ष की दूसरी पार्टियां जातियों के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग कर रही हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हर रैली में यह मुद्दा उठा रहे हैं। सत्ता में आने पर जाति-जनगणना कराने का वादा भी कर रहे हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों को देश की सबसे बड़ी जाति बताते हुए उन्हीं की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी की बात कही है।
पीएम मोदी ने गरीब, महिला, युवा और किसान को नई जातियां बताकर जाति की परंपरागत सियासत को बदलने की रणनीति तैयार की है। भाजपा हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, कल्याणकारी और चार नई जातियों को लेकर केंद्रित योजनाओं से जुड़ी उपलब्धियों के सहारे सामाजिक न्याय की राजनीति का नया विकल्प खड़ा करने की कोशिश कर रही है। इस मामले में सबकी निगाहें जाति आधारित राजनीति का केंद्र माने जाने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के नतीजे पर है। हालांकि बीते साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में विपक्ष के इस मुद्दे का असर पड़ता नहीं दिखा। भाजपा को हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कामयाबी हाथ लगी।
बहरहाल, जाति की राजनीति का केंद्र माने जाने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार समेत हिंदी पट्टी के राज्यों में भाजपा अपने सहयोगियों के साथ बड़ी जीत हासिल करती है, तो परंपरागत सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले क्षेत्रीय दलों और पहली बार इस राजनीति को अंगीकार करने वाली कांग्रेस की मुसीबतें और चुनौतियां बढ़ जाएंगी।
मेरे लिए देश की सबसे बड़ी जातियां
विकसित भारत का संकल्प नारी, युवा, किसान और गरीब के चार अमृत स्तंभों पर टिका है और यही चार मेरे लिए देश की सबसे बड़ी जातियां हैं। इनका उत्थान ही भारत को विकसित बनाएगा। ये चारों जातियां जब सारी समस्याओं से मुक्त और सशक्त होंगी, तो स्वाभाविक रूप से देश की हर जाति सशक्त होगी और पूरा देश सशक्त होगा।- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
पुराना आधार वापस पाने के लिए कांग्रेस सामाजिक न्याय की पटरी पर
हिंदी पट्टी से जुड़े दल सामाजिक न्याय की राजनीति के बहाने आरक्षण से जुड़े सवालों को उठाते रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सामाजिक न्याय की राजनीति पर खुलकर सामने आई है। उसे लगता है कि वह इसी मुद्दे के सहारे हिंदी पट्टी में अपना पुराना आधार खड़ा कर सकती है। शायद यही वजह है कि राहुल समेत कांग्रेस के अन्य नेता लगातार जातियों की संख्या के हिसाब से आरक्षण की व्यवस्था की बात कह रहे हैं।
परंपरागत सियासत की राह पर राहुल जाति-जनगणना का उठा रहे सवाल
बिहार के आंकड़े देश की असली तस्वीर की छोटी सी झलक है। हमें अंदाजा भी नहीं है कि देश की गरीब आबादी किस हालत में रह रही है। हम सत्ता में आए, तो जाति जनगणना और आर्थिक स्थिति की समीक्षा कराएंगे। 50% आरक्षण की सीमा को उखाड़ फेकेंगे। यह कदम देश का एक्स-रे करेगा और सभी को सही आरक्षण, अधिकार और हिस्सेदारी देगा। – राहुल गांधी, कांग्रेस
पीएम मोदी ने जाति की नई अवधारणा गढ़ी
विपक्ष की केंद्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना की मांग पर कुछ कहे बिना पीएम मोदी ने जाति की नई अवधारणा ही गढ़ दी। महिला, युवा, किसान और गरीबों के कल्याण को ही सामाजिक न्याय बताया। यही नहीं, पीएम ने अपनी नई अवधारणा पर अडिग रहने का संदेश देते हुए संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण संबंधी विधेयक में भी ओबीसी कोटा लागू करने से इंकार किया। भाजपा ने इस मांग को ही असांविधानिक बताया।
जाति जनगणना को मुद्दा बनाने वाले नीतीश खुद भाजपा के साथ हो लिए
विपक्ष को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब जाति जनगणना को सियासी मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार चुनाव से कुछ माह पहले ही एनडीए में लौट आए। इससे भाजपा को बड़ी राहत मिली। भाजपा ने इस राजनीति की काट के लिए हिंदुत्व-राष्ट्रवाद का कॉकटेल तैयार किया है। इसके अलावा पार्टी का पूरा जोर मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान केंद्रीय योजनाओं के हर वर्ग के लाभार्थियों को साधने की है। पार्टी 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन योजना, जनधन, शौचालय, बिजली, उज्ज्वला विश्वकर्मा, स्वनिधि, ड्रोन बहन जैसे दर्जनों योजनाओं का व्यापक प्रचार प्रसार कर रही है। करीब 17 करोड़ परिवार इन योजनाओं के लाभार्थी हैं।
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