टोक्यो। जापान (Japan) के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Former Prime Minister Shinzo Abe) के राजकीय अंतिम संस्कार (state funeral) में शामिल होने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) टोक्यो (Tokyo) पहुंच चुके हैं. यहां पीएम मोदी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे और इसके बाद शिंजो आबे के प्रति उनकी पत्नी और पीएम फुमियो किशिदा को संवेदना व्यक्त करेंगे।
बता दें कि यह कार्यक्रम टोक्यो के चियोदा बुदोकन में आयोजित किया जा रहा है. यहां से पीएम मोदी अकासाका पैलेस जाएंगे, जहां एक अभिवादन समारोह होगा।
ये है पीएम मोदी का कार्यक्रम
– 8.10 AM: जापान के पीएम फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक.
– 10.30 AM: जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार समारोह में शामिल होंगे
– 03.00 PM: पीएम किशिदा और शिंजो आबे की पत्नी अकी आबे के प्रति संवेदना व्यक्त करेंगे.
आएंगे 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि
शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में 20 से ज्यादा राष्ट्राध्यक्षों सहित 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है. भारत ने आबे के सम्मान में 9 जुलाई 2022 को एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी. बता दें कि शिंजो आबे को भारत और जापान के संबंधों को मजबूत करने वाले जापानी प्रधानमंत्री के तौर पर याद किया जाता है.
कैसे हुई थी आबे की हत्या?
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भरी सभा में गोली मार दी गई थी, जिसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया था. चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी हीरोकाजू मात्सुनो ने बताया था कि शिंजो आबे पर स्थानीय समय के अनुसार सुबह साढ़े 11 बजे हमला हुआ था. उन पर ये हमला नारा शहर में हुआ. वे जापान में होने वाले उच्च सदन के चुनाव के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे.
जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री
आबे पहली बार साल 2006 में जापान के प्रधानमंत्री बने थे. इसके साथ ही उनके नाम जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री (Youngest Prime Minister Of Japan) का खिताब जुड़ गया था. हालांकि उनका पहला कार्यकाल लंबा नहीं चल पाया और अगले ही साल यानी 2007 में आबे को इस्तीफा देना पड़ गया. इसके बाद साल 2009 में उनकी कंजरवेटिव पार्टी चुनाव हार गई. साल 2012 में वह दोबारा प्रधानमंत्री बने, जब उनकी अगुवाई में कंजरवेटिव पार्टी ने जीत हासिल की. उन्होंने चुनाव के दौरान जापान के लोगों से इकोनॉमी को मजबूत बनाने, डिफ्लेशन पर लगाम लगाने, दूसरे विश्व युद्ध के बाद लागू संविधान की पाबंदियों को कम करने और पारंपरिक मूल्यों को बहाल करने का वादा किया था।
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