नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और उनकी बांग्लादेश की समकक्ष शेख हसीना (Bangladesh counterpart Sheikh Hasina) ने शनिवार को भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन (India-Bangladesh Friendship Pipeline) का उद्घाटन किया। इस दौरान दोनों प्रधानमंत्री वर्चुअली जुड़े थे। इसे शॉर्ट में आईबीएफपीएल (IBFL) कहा गया है। पीएम मोदी ने इसे दोनों देशों के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत (beginning of a new chapter) कही। पीएम मोदी ने कहा कि भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन की नींव हमने सितंबर 2018 में रखी थी। मुझे खुशी है कि आज प्रधानमंत्री शेख हसीना जी के साथ इसका उद्घाटन करने का अवसर आ गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री शेख हसीना के कुशल नेतृत्व में बांग्लादेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। हर भारतीय को इस पर गर्व है और हमें खुशी है कि हम बांग्लादेश की इस विकास यात्रा में योगदान दे पाए हैं। मुझे विश्वास है कि यह पाइपलाइन बांग्लादेश के विकास को और गति देगी और दोनों देशों के बीच बढ़ती कनेक्टिविटी का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण रहेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मुझे याद है कि कई वर्षों पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना जी ने 1965 से पहले की रेल कनेक्टिविटी बहाल करने के अपने विजन के बारे में चर्चा की थी। उसी समय से दोनों देशों ने मिल कर इस पर बहुत प्रगति की है। इसी का परिणाम है कि कोविड महामारी के दौरान हमें रेल नेटवर्क के द्वारा बांग्लादेश को ऑक्सीजन आदि भेजने में सुविधा रही। बता दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच ये पहली क्रॉस बॉर्डर एनर्जी पाइपलाइन है। इसे तैयार करने में 377 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस बजट में 285 करोड़ रुपए भारत ने बांग्लादेश के हिस्से में बनी पाइपलाइन पर लगाए हैं। इसे भारत सरकार ने अनुदान दिया था।
इस अंतरराष्ट्रीय पाइपलाइन की लंबाई करीब 130 किमी है। पाइपलाइन का पांच किमी हिस्सा भारत में है, जबकि शेष बांग्लादेश में है। असम के नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड के पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित टर्मिनल से बांग्लादेश पेट्रोलियम कार्पोरेशन के परबतीपुर डिपो तक ईंधन पहुंचाया जाएगा।
इस पाइपलाइन में एक मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष हाईस्पीड डीजल के परिवहन की क्षमता है। अभी शुरुआत में कंपनी बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से के सात जिलों में हाई स्पीड डीजल आपूर्ति करेगी। इससे दोनों देशों के बीच उर्जा सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए 2017 में समझौता किया गया था।
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