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    PM-Kisan Schemeः 47 लाख से ज्यादा किसानों का पेमेंट रोका गया, जानिए क्या है वजह

  • October 17, 2020


    नई दिल्ली. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM-Kisan Scheme) को लेकर अब गड़बड़झाले का मामला सामने आने लगा है. अब तक राज्य सरकारों ने इस स्कीम के तहत 47,05,837 किसानों का भुगतान रोक लिया है. उनका कहना है कि इन किसानों का रिकॉर्ड या तो संदिग्ध है या फिर आधार और बैंक अकाउंट के नाम की स्पेलिंग में अंतर है. वहीं, कृषि मंत्रालय (Agriculutre Ministry) के एक अधिकारी के मुताबिक, आवेदनकर्ताओं के नाम, मोबाइल नंबर और बैंक अकाउंट नंबर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है.

    इसके अलावा भी कई ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से इन किसानों के खाते में PM-Kisan सम्मान निधि स्कीम का भुगतान नहीं मिल रहा है. इनमें से कुछ खाते अमान्य होने की वजह से उनका भुगतान अस्थायी रूप से रोक दिया गया है. जबकि, कुछ आवेदनकर्ताओं द्वारा जो खाता संख्या दिया गया है, वो बैंक में मौजूद नहीं है. कई राज्यों में तो इस स्कीम को लेकर भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आ चुके हैं.

    केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक PM-Kisan सम्मान निधि स्कीम के तहत पात्र किसान परिवारों की पहचान करने की पूरी जिम्मेदारी राज्यों की है. क्योंकि यह स्टेट सबजेक्ट होने की वजह से राजस्व रिकॉर्ड का वेरीफिकेशन का काम राज्यों का है. कौन किसान है और कौन नहीं, यह खेती के रिकॉर्ड के मुताबिक राज्य सरकार को तय करना होता है. जिनके रिकॉर्ड पर राज्य सरकार मुहर लगा देती है उसी को केंद्र सरकार 6000 रुपये देती है.

    पैसा भेजने का क्या है तरीका
    केंद्र सरकार किसानों की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत उनके खाते में एक साल में कुल 6000 रुपये भेजती है. यह 100 फीसदी केंद्र सरकार फंडेड स्कीम है. लेकिन राजस्व रिकॉर्ड का वेरीफिकेशन राज्यों को करना होता है क्योंकि यह स्टेट सबजेक्ट है. जब राज्य सरकारें अपने यहां के किसानों का डाटा वेरीफाई करके केंद्र को भेजती हैं तब जाकर पैसा भेजा जाता है. केंद्र सरकार डायरेक्ट पैसा नहीं भेजती. बताया गया है कि राज्यों द्वारा भेजे गए आंकड़े के आधार पर पैसा पहले राज्यों के अकाउंट में जाता है. उसके बाद राज्य के अकाउंट से किसानों तक पैसा पहुंचता है.

    तमिलनाडु में सामने आया पीएम किसान स्कीम को लेकर घोटाला
    बीते दिनों ही तमिलनाडु में इस स्कीम में घोटाले के बाद केंद्र ने साफ किया है कि किसानों की पहचान करना राज्यों का काम है. उधर, घोटाला करने वालों पर सख्ती शुरू हो गई है, ताकि फिर किसी राज्य में ऐसा न हो. तमिलनाडु की क्राइम ब्रांच सीआईडी ने इस घोटाले को लेकर 10 मामले दर्ज किए हैं और इस मामले में 16 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है. जिला और ब्लॉक स्तरीय पीएम किसान लॉग इन आईडी को निष्क्रिय कर दिया गया है. इस मामले में अब तक 47 करोड़ रुपये की रकम वसूल कर ली गई है. बताया गया है कि कुछ कर्मचारियों ने मिलकर इस निधि से 110 करोड़ रुपये गलत तरीके से ऑनलाइन (Online) निकाल लिए थे.

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