इंदौर। राऊ रंगवासा का टॉय यानी खिलौना क्लस्टर शुरू से ही विवादित रहा है। क्लस्टर में शामिल 20 भूखंडों की बंदरबांट एसपीवी के कर्ताधर्ताओं ने ही कर ली। खुद की कागजी कम्पनियां बनाकर भूखंडों का आबंटन कर लिया और एक ही दिन 29 जुलाई 2022 को सभी रजिस्ट्रियां भी करवा दी। मोबाइल पर ही प्रस्ताव बुलाकर करोड़ों के इन भूखंडों को कबाड़ लिया। अब कलेक्टर मनीष सिंह ने इस आबंटन घोटाले की जांच शुरू करवा दी है।
अग्निबाण ने भी इस घोटाले को पिछले दिनों उजागर किया। शासन ने जो क्लस्टर नीति बनाई उसके तहत स्पेशल परपस व्हीकल यानी एसपीवी के जरिए प्रस्ताव लिए गए, लेकिन इसमें शामिल डायरेक्टरों ने अपनी की कम्पनियों के नाम पर जमीन कबाड़ ली। इसमें प्रेम रामचंदानी की जेनित एक्सीम को प्लाट नं. 7, तो भारत टॉय कम्पनी को भूखंड क्र. 6 मिला। इसी तरह सुरेन्द्रसिंह ठाकुर ने भी भूखंड क्रमांक 5 और दूसरा भूखंड 8 आर्ट ऑफ टॉयज के नाम से हासिल कर लिया। एक अन्य डायरेक्टर सुनील गुरेजा ने भूखंड क्र. 1 हैप्पीनेस कैंडी टॉइज और दूसरा भूखंड 13 फेवरेट कैंडी प्रा.लि. के साथ-साथ तीसरा भूखंड 9 जस्ट कैंडी टॉइज के नाम पर हासिल किया। ये सारी कम्पनियां मई, जून-2021 में ही बनी और इन सभी कम्पनियों के पार्टनर आपस में एक-दूसरे से जुड़े रहे। इसी तरह भाजपा नेता के एक करीबी छोड़वानी परिवार ने भी दो भूखंड टॉय किंगडम और लिटिल किंगडम के नाम से हासिल कर लिए।
चंद दिनों पहले बनी इन कागजी कम्पनियों को मिले भूखंड
खुशी टॉयज, जिमी टॉयज, नई प्रीस टॉयज, पाहेर वेंचर, मिडास टॉयज, टॉय जंगल जैसी कम्पनियां भी कुछ समय पूर्व ही बनी और जब इन्हें भूखंड मिले उसके एक पखवाड़े पहले ही इन कम्पनियों का रजिस्ट्रेशन हुआ और ढाई से 3 हजार रुपए स्क्वेयर फीट की कीमत वाले भूखंडों को 165 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट पर अलॉट कर दिया।
सेवानिवृत्ति से पहले महाप्रबंधक भी दिखा गए अपना खेल
पिछले दिनों उद्योग आयुक्त ने श्रीमती संध्या बामनिया को अतिरिक्त प्रभार सौंपा, क्योंकि सेवानिवृत्त हुए प्रबंधक अजयसिंह चौहान भी खिलौना क्लस्टर के भूखंड आबंटन में खेल दिखा गए। उन पर आरोप लगे कि आधी रात तक दफ्तर खोलकर भूखंडों के आबंटन-पत्र जारी किए गए और उस वक्त आचार संहिता भी लागू थी।
उद्योग आयुक्त नरहरि बोले – जांच से आ जाएगी सच्चाई सामने
खिलौना क्लस्टर में भूखंड घोटालों के हल्ले के बीच कलेक्टर मनीष सिंह ने कल जांच के निर्देश जारी किए और जांच प्रतिवेदन शासन को भेजा जाएगा। यह जांच जिला पंचायत सीईओ श्रीमती वंदना शर्मा और नोडल अधिकारी व एसडीएम अंशुल खरे द्वारा की जाएगी। दूसरी तरफ उद्योग आयुक्त पी. नरहरि का कहना है कि अच्छा है, जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी। हम भी पारदर्शिता के पक्षधर हैं और वैसे भी यह मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है ही। गड़बड़ी प्रमाणित होने पर संबंधितों के खिलाफ उचित कार्रवाई भी की जाएगी और गलत आबंटन रद्द होंगे।
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