इंदौर। मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था (Labor Panchayat Home Construction Society) की पुष्प विहार कालोनी (Pushp Vihar Colony) के पीडि़तों (Victims) को भूखंडों का कब्जा पिछले दिनों प्रशासन ने दिलवाया। लगभग 800 से अधिक पीडि़तों को कब्जे मिल गए और अधिकांश ने मौके पर बाउण्ड्रीवॉल का निर्माण भी कर लिया है। अब नगर निगम (Muncipal corporation) इन भूखंडधारकों के खाते सम्पत्ति (Property) कर के खोल रहा है। इसके लिए कल भी शिविर लगाया गया और आज भी जारी रहेगा। औसतन 35 से 40 हजार रुपए हर भूखंडधारक को सम्पत्ति कर के जमा करवाना पड़ेंगे। 22 साल का सम्पत्ति कर निगम लेगा। हालांकि अभी अधिभार से मिल रही छूट का लाभ भी इन भूखंडधारकों को मिलेगा। वहीं नगर निगम को भी लगभग 3 करोड़ रुपए की आमदनी हो जाएगी। उसके बाद जब बिल्डिंग परमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी तब भी नगर निगम को अच्छा-खासा राजस्व मिलेगा। प्रशासन ने जो भूखंड कई संस्थाओं के दिलवाए हैं उन सभी में नगर निगम अब खाते खोलकर पुराना सम्पत्ति कर जमा करवाएगा।
भूमाफियाओं (Land mafia)के चंगुल में फंसी मजदूर पंचायत की जमीनों पर कब्जे दिलवाए जा रहे हैं और अवैध रूप से बिकी जमीनों को सरेंडर भी करवाया गया, जिसमें केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी से लेकर अन्य ने जमीनें खरीदी, जो जेल में भी हैं और 1700 से ज्यादा रजिस्ट्रियां भी मिली। पुष्प विहार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एनके मिश्रा के मुताबिक 800 से अधिक सदस्यों को मौके पर भूखंडों के कब्जे दिलवाए जा चुके हैं और अब नगर निगम सम्पत्ति कर के खाते खोल रहा है। पहले नामांतरण, उसके बाद सम्पत्ति कर जमा होगा। कल भी 100 से अधिक भूखंडधारकों ने सम्पत्ति कर की राशि जमा करवा दी। नियम के मुताबिक नगर निगम सन 2000 से लेकर अभी तक यानी 21-22 साल का सम्पत्ति कर एकमुश्त जमा करवाएगा। हालांकिइसमें अधिभार की बड़ी छूट भूखंधारकों को मिल जाएगी। एक करोड़ रुपए से अधिक के भूखंड के मालिक बने सदस्यों को भी आपत्ति नहीं है। इससे उनके मालिकाना हक को भी मजबूती मिलेगी और भविष्य में नगर निगम से नक्शा मंजूरी में भी आसानी रहेगी। वहीं कलेक्टर मनीष सिंह ने निर्देश दिए हैं कि रहवासी संघ बचे विकास कार्य भी शुरू करवाए। इसके लिए पिछले दिनों रहवासी संघ ने टेंडर भी बुलवाए थे। 800 से अधिक भूखंडधारकों के सम्पत्ति कर, खाते खुलने के बाद नगर निगम को भी लगभग 3 करोड़ की आमदनी होगी, क्योंकि एक भूखंडधारक पर औसतन 35 से 40 हजार रुपए की राशि अधिभार की छूट हटाने के बाद निकल रही है। संघर्ष समिति ने भी सभी भूखंडधारकों यानी अपने सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे देरी किए बिना नामांतरण करवाकर अपने सम्पत्ति कर के खाते खुलवाएं और निगम को राशि भी जमा करवा दें। इसके अलावा श्री महालक्ष्मी नगर के भी ए और बी सेक्टर में पिछले दिनों प्रशासन ने पीडि़तों को भूखंड उपलब्ध करवाए थे, उसके बाद सी और डी में भी यह कार्रवाई शुरू की गई। मगर एक परेशानी यह आ रही है कि डी सेक्टर में बड़े पैमाने पर पक्के मकान भी निर्मित है और यही स्थिति न्याय नगर के भी सी और डी सेक्टर में आ रही है, जहां पर नोटरी के जरिए ही अवैध मकान बन गए, जिन्हें तोड़ा जाना संभव नहीं है। यही कारण है कि संस्थाओं के विवादित भूखंडों का फैसला समितियों पर छोड़ा गया है, जिसके चलते इन भंग पड़ी संस्थाओं में नए सिरे से निर्वाचन की प्रक्रिया भी शुरू करवाई जा रही है। मजदूर पंचायत में तो संचालक मंडल बहाल है, लिहाजा उसके माध्यम से काम करवाए जाएंगे। मगर अयोध्यापुरी और श्री महालक्ष्मी नगर में संचालक मंडल भंग है। लिहाजा आम सभा करवाने के बाद अब इन संस्थाओं में निर्वाचन की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
न्याय नगर की बिकी 15 एकड़ जमीन की जांच जारी
न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण की पिछले दिनों हुई साधारण सभा में 15 एकड़ जमीन त्रिशला गृह निर्माण को बेचे जाने के मामले में भी रजिस्ट्री निरस्त करवाने और कब्जा वापस लेने का निर्णय हुआ। दरअसल, भूमाफिया और भगोड़े दीपक जैन उर्फ मद्दे ने यह 15 एकड़ जमीन हड़पकर जेबी संस्था त्रिशला में शामिल करवा दी। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर के मुताबिक इस संबंध में दिलावर सोहराब और इसलाम जो सहमति लेख मद्दे ने निष्पादित किया था उसकी जांच की जा रही है और इन लोगों के बयान दर्ज हो रहे हैं। 49 लाख रुपए की राशि जो संस्था ने चुकाई वह कहां गई उसकी भी जानकारी निकाली जा रही है। दिलावर सोहराब और इसलाम का कहना है कि उन्हें यह राशि नहीं मिली।
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