नई दिल्ली (New Delhi) । पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) का स्वघोषित मुखिया दिनेश गोप (Dinesh Gope) उर्फ कुलदीप यादव दो दशकों से झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) के लिए सिरदर्द बना था। दिनेश का भाई सुरेश गोप का भू खूंटी में आतंक हुआ करता था। वह पुलिस के साथ मुठभेड़ (Encounter) में मारा गया था। उस वक्त दिनेश गोप फौज में था। लेकिन जब भाई के मारे जाने की खबर मिली तो उसने नौकरी छोड़ दी और गांव आ गया। इसके बाद साल 2002 में झारखंड लिबरेशन टाइगर नाम का एक उग्रवादी संगठन बना लिया।
दिनेश गोप ने युवाओं को अपने संगठन से जोड़ा और उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने लगे। पूछताछ के दौरान दिनेश गोप ने एनआईए को बताया कि झारखंड में जब उसके लिए दबिश तेज हुई तो वह दूसरे राज्यों में रहा। इसके बाद वह नेपाल चला गया और वहां सिख बनकर ढाबा चलाता था।
एक बार बात करके तोड़ देता था सिम
दिनेश गोप तकनीक में बहुत ही आगे है। वह सैटेलाइट फोन का भी इस्तेमाल करता था। इसके अलावा एक बार जिस नंबर से बात करता था, वह सिम तोड़ देता था। इसीलिए वह लंबे समय से पुलिस की गिरफ्त से बाहर था। इसके अलावा सफेदपोशों और पुलिसवालों से भी उसके अच्छे संपर्क थे। खुद पुलिसवाले ही उसे पुलिस के अभियान की जानकारी पहले ही दे देते थे।
रंगदारी का खेल
दिनेश गोप के गुर्गे लोगों से पहले पर्चा फेंककर रंगदारी मांगा करते थे। अगर उन्हें रकम नहीं मिलती थी तो किसी की भी हत्या करने से नहीं कतराते थे। 2004 में उसने अपने संगठन का नाम बदलकर पीएलएफआई कर दिया था। इसके अलावा इसका विस्तार 17 जिलों तक कर दिया था। एक बार यह भी खबर मिली थी कि दिनेश गोप मिसाइल बना रहा था। इसके बाद ही रांची में जुमार पुल के पास से एक रॉकेट लॉन्चर पकड़ा गया था।
गांववालों का हासिल था विश्वास
दिनेश गोप पुलिस की पकड़ में इसलिए भी नहीं आ रहा था क्योंकि उसे गांववालों का विश्वास हासिल था। कई गांवों में उसकी अच्छी पकड़ थी। उसने गावों में स्कूल बनवाए और कई गरीबों की बेटियों की शादी करवाई। इसके अलावा वह गरीबों की पैसों से भी मदगद किया करता था। गांव के लोगों को जोड़ने केलिए उसने मंदिरों का भी निर्माण करवाया।
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