– निगम की अव्यवस्था के चलते पूरा शहर परेशान
– जलूद से इंदौर आ रहा 410 एमएलडी पानी, यशवंत सागर से 30 तो 50 से ज्यादा हाइडे्रटों से मिलता है कई एमएलडी पानी
– पौने तीन सौ टैंकर दौड़ाने के बाद भी हालत में कोई सुधार नहीं
– जलसंकट की शिकायतों के लिए झोनलों पर सहायक यंत्रियों की तैनाती
– एक टैंकर पांच फेरे तो लगाता है, लेकिन फिर भी पानी बेचने की शिकायतें
इंदौर।
शहर में जलूद (Jalud) से नर्मदा (Narmada) का 410 एमएलडी पानी (water) आता है, वहीं यशवंत सागर (Yashwant Sagar) से 30 एमएलडी पानी (MLD water) से रोज शहर की 91 से ज्यादा टंकियां भरी जाती हैं, मगर उसके बावजूद शहर के सैकड़ों इलाके प्यासे हैं। पानी बांटने के लिए हाइडें्रटों (Hydrants) से पानी भरकर पौने तीन सौ टैंकर (Tankers) रोज अलग-अलग वार्डों में दौड़ाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन दो दिन पहले ही टैंकर चालक पानी बेचते पकड़ा गया। पानी बांटने की मॉनीटरिंग (Monitoring) के लिए सभी 19 झोनलों पर सहायक यंत्रियों की तैनाती की गई है, मगर शिकायतें बनी हुई हैं।
नगर निगम (Municipal Corporation) ने प्रोजेक्ट अमृत (Project Amrit) के तहत शहर में 27 स्थानों पर पानी की नई टंकियां (Tanks) बनाई हैं। इनमें पागनीसपागा, बाणगंंगा, आजादनगर और अन्य स्थानों की टंकियां शुरू की जाना हैं। सप्लाय लाइनों को बिछाने के काम पूरे नहीं होने के कारण टंकियां शुरू नहीं हो पा रही हैं। ड्रेनेज और नाला टेपिंग के साथ-साथ नर्मदा की नई लाइनें बिछाने के लिए शहर में सड़क खोदने का सिलसिला लगातार जारी है। अब कई इलाकों में जलसंकट ज्यादा गहराने लगा है और लोग झोनलों से लेकर निगम मुख्यालय पर पहुंचकर अफसरों को कॉलोनी में पानी नहीं आने की शिकायत कर रहे हैं। कई जगह मनमाने तरीके से पानी सप्लाय का समय बदल दिया गया है, जिससे फजीहत और बढ़ गई है। रोज अलग-अलग वार्डों में जलसंकट से संबंधित शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
जल संकट हो तो इन्हें करें परेशान… इन सहायक यंत्रियों की झोनों पर है तैनाती
नगर निगम (Municipal Corporation) ने सभी 19 झोनलों पर सहायक यंत्रियों की तैनाती की है। निगम अधिकारियों के मुताबिक झोन 1 पर सहायक यंत्री बीडी शिवपुरे मोबा्इल नंबर 7440444809, झोन 2 सहायक यंत्री पीआर आरोलिया 7440446077, झोन 3 राहुल सूर्यवंशी 7440441755, झोन 4 सरोज प्रजापति 7440414584, झोन 5 वीपी तिवारी 9425917428, झोन 6 पर दौलतसिंह गुंडिया 7440443414, झोन 7 पर आशीष राठौर 7440443644, झोन 8 पर पंकज दहायत 7440443538, झोन 9 पर एएस अंसारी 7440440745, झोन 10 पर ब्रजेश श्रीवास्तव 7440441188, झोन 12 पर राहुल सूर्यवंशी 7440441755, झोन 13 आरके दुबे 6260364410, झोन 14 पर ब्रजमोहन भगोरिया 7440443364, झोन 15 पर हिंडोलिया 7440441878, झोन 16 पर भी हिंडोलिया 7440441878, झोन 17 पर मनोज जैन 7440443404, झोन 18 पर जुगल बारपेटे 7440442237, झोन 19 पर शरद सोनी 7440441190 के नंबर हैं। इन्हें जलसंकट और जलप्रदाय में आ रही दिक्कतों व शिकायतों को दूर करने के लिए झोनलों पर तैनात किया गया है।
नई टंकियों के लिए 110 किमी में बिछना है सप्लाय लाइन
नर्मदा प्रोजेक्ट (Narmada Project) के अधिकारियों के मुताबिक शहर में 14 स्थानों पर पानी की नई टंकियां बनकर तैयार हैं और उनके लिए एलएंडटी कंपनी द्वारा एक हजार किमी क्षेत्र में सप्लाय लाइन बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि 110 किमी के क्षेत्र में सप्लाय लाइन बिछाने का काम बाकी है। इसके चलते नई टंकियां शुरू नहीं की जा रही हैं। पहले मार्च में टंकियां शुरू करने का टारगेट रखा था, लेकिन अप्रैल-मई के बाद भी मामला उलझन में पड़ा हुआ है।
50 हाइड्रेंटों से भी बांटते हैं पानी
नर्मदा प्रोजेक्ट के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक शहरभर में निगम के 50 से ज्यादा हाइड्रेंट हैं और वहां से सभी पौने तीन सौ टैंकरों को पानी भरने के लिए अधिकृत किया गया है। एक टैंकर को दिनभर में पांच फेरे लगाना होंगे। इसके लिए पूरी लॉगबुक तैयार की गई है, ताकि हाइड्रेंट से पानी भरने के बाद टैंकर कहां पानी बांटता है, इसकी लॉगबुक में इंट्री सहायक यंत्रियों के माध्यम से की जाती है। इन सबके बावजूद टैंकर चालक हाइड्रेंट से पानी भरकर मनमाने स्थानों पर जाकर बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं।
नाला टेपिंग ने भी किया कबाड़ा, अब पानी की दिक्कत
शहर में बीते चार वर्षों में नाला टेपिंग के नाम पर निगम ने करोड़ों रुपए बहाए। कई जगह इसके दुष्परिणाम बारिश से लेकर कई अन्य मौकों पर नजर आए हैं। नाला टेपिंग के दौरान विभिन्न नालों और नदियों में गिरने वाले गंदे पानी के 350 आउटफॉल बंद करने के नाम पर नाला टेपिंग के दौरान शहर के कई हिस्सों में नर्मदा की लाइनें भी तोड़फोड़ दी गई थीं। कई जगह ऐसी नाला टेपिंग हुई कि लोगों के घरों में ड्रेनेज का पानी आने लगा। अभी भी शहर में रोज 70 से 80 शिकायतें गंदे पानी की आती हैं और निगम की प्रयोगशाला में जांच के बाद यह बातें कई बार सामने आई हैं।
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