नई दिल्ली । ऑनलाइन गेमिंग (online gaming) की नकली दुनिया ने असली दुनिया से खेलों का मजा छीन लिया है. जब अकेले या कहीं दूर बैठे ऑनलाइन पार्टनर्स (ऑनलाइन पार्टनर्स ) के साथ खेलने का दौर आया तो साथ बैठकर खेलने वाले खेल छूटते चले गए. भारतीयों (Indians) के बीच टाइम-पास के लिए आज भी ताश (playing cards) बेहद प्रचलित है. ताश खेलने के शौकीनों को बस महफिल जुटने का इंतजार रहता है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ताश के खेलों को मोबाइल गेम्स में डेवलेप कर भुनाया जा रहा है. वैसे तो ताश के खेलों की कोई गिनती नहीं है, मगर भारत में लोगों के बीच कोट पीस, तीन पत्ती, दहला पकड़ और लकड़ी जैसे कुछ खेल सबसे प्रचलित हैं.
हजारों साल से खेले जा रहे हैं कार्ड्स
भारत में प्लेइंग कार्ड्स खेलने का इतिहास काफी पुराना है. इंसान 1 हजार से भी ज्यादा साल पहले से ताश खेल रहे हैं. एक समय में यह शाही राज घरानों का खेल हुआ करता था. समय के साथ यह त्योहारों और उत्सवों पर खेला जाने लगा. इतिहासकार मानते हैं कि प्लेइंग कार्ड की शुरूआत चीन से हुई जहां अपनी लोककथाओं के किरदारों के कार्ड्स बनाकर खेल खेले जाते थे.
20वीं सदी के भारत में विभिन्न प्रकार के ताश के डिजाइन आए. पुणे के चित्रकला प्रेस ने जहां रवि वर्मा के प्रिंट और एल्फाबेट कार्ड्स छापे, वहीं कमला सोप फैक्ट्री के ब्रांडेड दिलकुश प्लेइंग कार्ड्स और एयर इंडिया कलेक्टेबल कार्ड्स की लोकप्रियता काफी बढ़ी.
भारत में कहां से आए ताश
भारतीय में ताश के पत्तों का इतिहास गोलाकार गंजीफा/ गंजप्पा ताश के पत्तों से शुरू होता है. इनका पहला उल्लेख मुगल सम्राट बाबर के संस्मरणों से मिलता है. वर्ष 1527 में, मुगल सम्राट बाबर ने सिंध में अपने मित्र शाह हुसैन को गंजीफा का एक सेट भेंट किया था. इतिहासकार मानते हैं कि गंजीफा पारसी संस्कृति से प्रेरित थे.
क्यों बादशाह-बेगम पर भारी है इक्का
प्लेइंग कार्ड्स के इतिहासकार सैमुअल सिंगर के अनुसार, आधुनिक प्लेइंग कार्ड्स डेट फ्रांसीसी सामाजिक स्थिति को दर्शाता है. इसमें 4 तरह के कार्ड्स हैं- हुकुम (spades), पान (hearts), ईंट (diamond) और चिड़ी (clubs). फ्रांसीसी डेक में हुकुम यानी स्पेड्स रॉयल्टी का प्रतीक था, पान यानी हर्ट्स पादरियों के लिए, ईंट या डायमंड व्यापारियों के लिए और चिड़ी यानी क्लब्स किसानों और मजदूरों के लिए था.
दिलचस्प बात है कि इसी कारण फ्रांसीसी क्रांति के बाद Ace यानी इक्का (A) डेक का टॉप कार्ड बन गया. यह इस बात को दर्शाता है कि कैसे आम लोगों ने राजशाही को उखाड़ फेंका था. इसलिए ताश के खेल में बादशाह से भी ज्यादा ताकतवर इक्का होता है जो आम आदमी या क्रंतिकारियों का प्रतीक है.
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