नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana) ने कहा कि वह संतुष्ट होकर पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्हें ऐसा कोई अफसोस नहीं है कि वे न्यायपालिका (Judiciary) के लिए कुछ नहीं कर पाए। जस्टिस रमना 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उनकी जगह 27 अगस्त को उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के वरिष्ठतम जज जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) अगले मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार ग्रहण करेंगे।
एक कार्यक्रम में जस्टिस रमना ने कहा, वह अपने कार्यकाल से बेहद संतुष्ट हैं। यह पूछे जाने पर कि वह सेवानिवृत्ति के बाद क्या करेंगे, रमना ने मुस्कुरा कर कहा कि उन्होंने इस बारे में अभी कुछ सोचा नहीं है। बता दें कि जस्टिस रमना ने कुछ दिन पहले कहा था कि राजनीति में उनकी दिलचस्पी थी, लेकिन नियति उन्हें वकालत में खींच लाई और वह जज बन गए। उन्होंने फरवरी, 1983 में वकालत की शुरुआत की थी।
जजों की बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की
जस्टिस रमना ने पिछले वर्ष अप्रैल में कोविड-19 महामारी के बीच जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे से कार्यभार ग्रहण किया था, तब सुप्रीम कोर्ट और 25 हाईकोर्ट जजों की रिक्तियों से जूझ रहे थे। इन हाईकोर्ट में 40 फीसदी से ज्यादा रिक्तयां थीं। कई हाईकोर्ट अपनी आधी से कम क्षमता पर काम कर रहे थे। अपने एक वर्ष से कुछ माह ज्यादा के कार्यकाल में उन्होंने उच्च अदालतों में रिक्तियां भरने का जिम्मा संभाला और 138 से ज्यादा जजों को हाईकोर्ट में नियुक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट में भी 11 जजों की नियुक्तियां की गईं। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में पहली बार तीन महिला जजों (जस्टिस हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना और बेला एम त्रिवेदी) को लाया गया। इनमें से जस्टिस नागरत्ना मुख्य न्यायाधीश भी बन सकती हैं। एक साल के भीतर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में की गई ये नियुक्तियां एक रिकॉर्ड है। इससे पूर्व 2016 में 126 जजों को हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया था।
न्यायिक सुधार के प्रयास
जस्टिस रमना ने न्यायिक सुधार के लिए भी कदम उठाए और न्यायिक आधारभूत ढांचा अथॉरिटी का गठन करने का प्रस्ताव सरकार को दिया। इस अथॉरिटी में निचली अदालतों में आधारभूत सुविधाएं, जजों के आवास, स्टाफ के आवास के लिए केंद्रीयकृत फंड बनाने का प्रस्ताव था। सरकार ने इस बारे में राज्यों और देशभर के हाईकोर्ट से राय ली, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर सहमति नहीं दी और कहा कि यह काम राज्यवार ही होना चाहिए। जस्टिस रमना ने सुप्रीम कोर्ट बार से भी वकील उम्मीदवारों को उच्च अदालतों में जजशिप के लिए लेने का प्रगतिशील प्रस्ताव किया था, लेकिन विरोध के चलते प्रस्ताव सिरे नहीं चढ़ा।
न्यायपालिका संग मिलकर काम करने की जरूरत: रिजिजू
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के सामने कई चुनौतियां हैं। भारत जैसे बड़े देश में इन समस्याओं से निपटने के लिए सभी अंगों को मिलकर काम करना होगा। ऐसा करते हुए लक्ष्मण रेखा का सम्मान करना भी जरूरी है।
कानून मंत्री सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, कि व्यवस्था की आलोचना करना या टिप्पणी करना आसान है, जब तक कि आप इससे अवगत न हों। भारत जैसी चुनौतियों का सामना कोई देश नहीं कर रहा। कानून मंत्री ने लक्ष्मण रेखा का सम्मान करने पर बल देते हुए कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका एक व्यवस्था के अंग हैं।
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