वाशिंगटन। दुनिया के लिए प्रदूषण (pollution) और प्लास्टिक (plastics) नए खतरे (new threats) के रूप में उभर रहा है। अमेरिका के न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (New York University School of Medicine of America) के वैज्ञानिकों ने खुलासा(Scientists Revealed) किया है कि वयस्कों की तुलना में छोटे बच्चों के शरीर में प्लास्टिक (plastics) के कणों की मात्रा 15 गुना अधिक होती है। बच्चों के शरीर में प्लास्टिक (plastics) की इतनी अधिक मात्रा उनके भविष्य के साथ स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है।
प्रमुख शोधकर्ता प्रो. कुरुंथाचालाम कन्नान का कहना है कि वातावरण में पांच मिमी से कम आकार के प्लास्टिक (plastics) के सूक्ष्म कण वातावरण में तेजी से बढ़ रहे हैं। घरों में भी प्लास्टिक (plastics) से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है जिससे प्लास्टिक (plastics) के सूक्ष्म कण वयस्कों की तुलना में बच्चों के शरीर में तेजी से बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान बच्चों के शरीर में माइक्रो प्लास्टिक फाइबर (micro plastic fiber) की पुष्टि की है। पीसी का स्तर बच्चों और वयस्कों में बराबर पाया गया जबकि पीईटी का स्तर वयस्कों की तुलना में बच्चों के शरीर में 15 गुना अधिक पाया गया है।
प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचना होगा
प्रो. कन्नान का कहना है कि बच्चों के इस्तेमाल के लिए बनने वाले उत्पादों को प्लास्टिक की बजाए दूसरी सामग्री से बनाना होगा जिससे उन्हें प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से उन्हें बचाया जा सके। वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों में पीईटी का स्तर बढ़ने का कारण खिलौने के साथ कालीन पर घुटने के बल चलने के दौरान उनके शरीर में दूषित केमिकल का जाना होता है।
नवजात, बच्चों व वयस्कों के मल की जांच
वैज्ञानिकों ने यह खुलासा छह नवजातों और दस वयस्कों के मल की जांच के बाद किया है। जांच से बच्चों और वयस्कों के शरीर में पोलीथीलिन टेरीपथलेट और पॉलीकार्बोनेट का स्तर का पता लगाया। इस दौरान 3 ऐसे बच्चों के मल की जांच की गई है जिन्होंने जन्म के बाद पहली बार मल त्याग किया था। वैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों में प्लास्टिक कण भविष्य के लिए खतरा है।
बच्चों में प्लास्टिक की मात्रा अधिक क्यों?
प्लास्टिक उत्पादों से बने खिलौने, दूध की बोतल, प्लास्टिक के चम्मच, बेड पर प्लास्टिक शीट, मुंह पर लगने वाला प्लास्टिक का फीडर बच्चों के शरीर में प्लास्टिक की मात्रा बढ़ाने का प्रमुख कारण है। बच्चों के कपड़ों को सुंदर बनाने के लिए प्लास्टिक की डिजाइन होती है जिसे वे छूने के बाद हाथ मुंह में डालते हैं, जिससे प्लास्टिक तत्त्व शरीर में जाता है।
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