इन्दौर। प्रशासन (Administration) की सख्ती का असर अब उद्योगों व फैक्ट्री संचालको (factory operators) पर नजर आने लगा है । सांवेर रोड (Sanwer Road) के औद्योगिक (industrial) क्षेत्र की लगभग 80 फैक्ट्रियों (factories) में प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए ईटीपी प्लांट (ETP Plant) लगाने की तैयारिया शुरू हो गई है। सांवेर रोड (Sanwer Road) औद्योगिक क्षेत्र में प्लास्टिक, फूड कन्फेक्शनरी, टेक्सटाइल (Plastic, Food Confectionery, Textile) सहित मेटल सम्बन्धित 140 छोटे मझौले उद्योगों से प्रदूषित पानी निकलता है। जिनमें से अब तक 80 उद्योगों में प्रदूषित पानी साफ करने के ईटीपी प्लांट (ETP Plant) नहीं थे, जहां ये प्लांट लगना हैं, उनमें लगभग 50 प्लास्टिक इंडस्ट्री , 70 फूड प्रोसेसिंग कन्फेक्शनरी , 10 टेक्सटाइल्स औऱ 10 मेटल गलाने सम्बन्धित फैक्ट्रिया शामिल है।
क्या होता है ईटीपी प्लांट
ईटीपी यानी इफ्ल्यूएन्ट ट्रीटमेंट प्लांट मतलब प्रदूषित पानी साफ करने वाला सिस्टम , जो हर उन फैक्ट्री या हर उद्योग वालों को लगवाना अनिवार्य होता है, जहां से प्रदूषित पानी निकलता है। इस संयंत्र के लगने के बाद ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल बोर्ड से उद्योग संचालित करने की अनुमति मिलती है। ईटीपी प्लांट के लिए प्रदूषित पानी की क्षमता के हिसाब से एक ईंट-सीमेंट का टैंक बनाया जाता है। जहां प्रदूषित पानी को स्टोर किया जाता है। इसके बाद लोहे यानी आयरन के अन्य 3 टैंक पाइप द्वारा सीमेंट टैंक से जोड़े जाते हैं, जिन्हें काग्यूलेशन टैंक , न्यूट्रलाइजेशन टैंक सैटलिंग टैंक कहा जाता है। प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए एक के बाद एक इन तीनो टैंक से गुजारा जाता है। इन तीनों आयरन टैंक के अलावा पानी को साफ करने के लिए केमिकल्स 2 वाटर पम्प , एयरब्लोअर , बैग फिल्टर लगाए जाते हैं। तब जाकर ईटीपी सिस्टम प्लांट तैयार होता है। ईटीपी प्लांट बनाने में 3 से 5 लाख रुपये का खर्च आता है।
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