नई दिल्ली। सेना में अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) लागू करने के बाद सरकार की खूब आलोचना भी हो रही है और देशभर में विरोध प्रदर्शन भी चल रहे हैं। कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो गए और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान भी पहुंचाया गया। युवाओं को समझाने के लिए सरकार ने एक अनौपचारिक फैक्ट शीट जारी की और कहा कि इस तरह की योजना कई देशों में पहले से लागू हैं और इसका कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है।
अब सेना में पर्सनेल बिलो ऑफिसर रैंक की सभी भर्तियां इसी योजना के तहत होंगी। इसके तहत एक सैनिक चार साल तक सेवा देगा और इसके बाद 25 फीसदी अग्निवीरों को रेग्युलर कैडर में भर्ती किया जाएगा। यह सब उनके प्रदर्शन के आधार पर होगा। इसमें भर्ती होने की आयुसीमा 17.5 साल से 21 साल तक होगी। इन सैनिकों को अलग रैंक भी दी जाएगी। चार साल पूरा करने वाले अग्निवीरों को 11.71 लाख का पैकेज दिया जाएगा जिसपर टैक्स से छूट होगी। वहीं इस योजना से सरकार का प्लान पेंशन बिल को कम करना है जो कि मौजूदा समय में लगभग 1.19 लाख करोड़ रुपये है। कई ऐसे देश हैं जो कि पहले से इस तरह की योजना लागू कर चुके हैं। आइए जानते हैं वे कौन से देश हैं और वहां के नियम क्या हैं…
अमेरिका: अमेरिका के पास 14 लाख सैनिकों की फौज है और यहां भर्तियां एच्छिक आधार पर होती हैं। ज्यादातर सैनिक चार साल के लिए भर्ती होते हैं और अगर जरूरत होती है तो सैनिकों को चार साल का एक्सटेंशन दे दिया जाता है। ये सैनिक फुल सर्विस के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं और अगर 20 साल सेवा देते हैं तो पेंशन और अन्य लाभ के लिए भी योग्य होते हैं। जो सैनिक जल्दी रिटायर होते हैं उन्हें भत्ता दिया जाता है।
चीन: चीन में अनिवार्य रूप से सैनिकों की भर्ती की जाती है। हर साल यहां 4.5 लाख सैनिकों को भर्ती किया जाता है। चीन में युवा आबादी ज्यादा है इसलिए हर साल इस भर्ती के लिए 80 लाख लोग तैयार रहते हैं। इस आधार पर भर्ती होने वालों को दो साल सेवा का मौका दिया जाता है जिसमें से 40 दिन ट्रेनिंग दी जाती है। चयन नियमों के आधार पर इनमें से बहुत सारे सैनिकों को फुल सर्विस में भी रख लिया जाता है। दो साल सेवा देने वाले सैनिकों को छूट पर लोन दिया जाता है जिससे वे अपना बिजनस शुरू कर सकेत हैं। इसके अलावा उन्हें टैक्स बेनिफिट भी मिलता है।
फ्रांस: यहां सैनिकों की भर्ती कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होती है. इसके लिए भर्ती के कई मॉडल हैं। एक साल के रिन्यूएबल कॉन्ट्रैक्ट से पांच साल तक के कॉन्ट्रैक्ट होते हैं जो कि रिन्यू भी हो जाते हैं। सैनिकों को तीन महीने ट्रेनिंग दी जाती है और जो 19 साल तक सेवा देते हैं उन्हें पेंशन का लाभ मिलता है।
रूस: रूस में भर्ती के हाइब्रिड मॉडल का इस्तेमाल होता है जिसके आधार पर सशस्त्र बलों में कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसके तहत एक साल की ट्रेनिंग के बाद एक साल सेवा का मौका मिलता है। इसके बाद उन्हें रिजर्व में रखा जाता है। इन्हीं लोगों में से परमानेंट सैनिकों की भी भर्ती की जाती है। इन सैनिकों को विश्वविद्यालयों में ऐडमिशन में भी छूट दी जाती है और सैन्य संस्थानों में भी पढ़ाई का अवसर दिया जाता है।
इजरायल: इस देश में ऐसा नियम है कि सभी को सेना में सेवा देना जरूरी होता है। पुरुषों को कम से कम 32 महीने और महिलाओं को 24 महीने की सेवा देनी होती है। इस सेवा के बाद उन्हें रिजर्व लिस्ट में रख लिया जाता है और कभी भी ड्यूटी पर बुलाया जा सकता है। इन सैनिकों को बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है। इनमें से 10 फीसदी को सेना में भर्ती कर लिया जाता है और सात साल का कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है। कम से कम 12 साल की सर्विस के बाद कोई सैनिक पेंशन के योग्य होता है।
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