नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) का दायरा एक बार फिर से तय करने की दिशा में केंद्र सरकार (central government) काम कर रही है। राजघाट(Raj Ghat) से 100 किमी के क्षेत्र को ही एनसीआर(NCR) में शामिल करने का प्रस्ताव है। इससे एनसीआर(NCR) का दायरा सिमट जाएगा।
सरकार का मानना है कि इससे बेहतर तरीके से एनसीआर(NCR) के विकास की नीतियां बन सकेंगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड National Capital Region Planning Board (NCRPB) ने इससे जुड़ा ड्राफ्ट रीजनल प्लान-2041 (Regional Plan-2041) को सार्वजनिक कर दिया है। आम लोग इस पर 7 जनवरी तक अपनी राय दे सकते हैं। इसके बाद बोर्ड योजना को अंतिम रूप देगा। ब्यूरो
2025 तक यमुना में कार्गो सेवा शुरू करने की योजना
रीजनल प्लान के ड्राफ्ट में कहा गया है कि 2025 तक दिल्ली में यमुना नदी में फेरी और कार्गों सेवा शुरू करने की योजना है। बुनियादी तौर पर एनसीआर का दायरा 100 किमी का होगा। अभी एनसीआर में शामिल और नए प्लान से बाहर हो जाने वाले इलाकों के लिए भी प्लान में प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि यह राज्य सरकारें तय करेंगी कि कोई इलाका एनसीआर में शामिल होगा या नहीं। एसीआरपीबी ने एनसीआर की सीमाओं के सीमांकन का काम शुरू कर दिया है, लेकिन केंद्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद ही यह प्रभाव में आएगा।
हरियाणा का आधा क्षेत्र होगा बाहर
उत्तर प्रदेश और राजस्थान इस पर सहमत है कि अगर किसी तहसील का एक हिस्सा 100 किमी के भीतर आता है तो पूरी तहसील को एनसीआर में माना जाएगा। जबकि हरियाणा ने कहा है कि 100 किमी के अंदर आने वाला इलाका ही एनसीआर में होगा। ऐसे में नए रीजनल प्लान के हिसाब से यूपी सब-रीजन के एनसीआर में कोई बदलाव नहीं होगा। राजस्थान इस दिशा में काम कर रहा है। जबकि हरियाणा मौजूदा समय में 25,327 वर्ग किमी की जगह 10546.42 वर्ग किमी को ही एनसीआर में शामिल करने को तैयार है।
प्लान के मुताबिक, हरियाणा ने जो अनुमानित आंकड़ा साझा किया है उसके हिसाब से अभी एनसीआर में प्रदेश के 14 जिलों का करीब 25,327 वर्ग किमी शामिल है। लेकिन आधी-अधूरी तहसील का पूरा हिस्सा एनसीआर से बाहर रखने से यह आंकड़ा 10546.42 वर्ग किमी ही रह जाएगा। अभी तक हरियाणा ने उन तहसीलों का ब्योरा बोर्ड को नहीं दिया है, जिनको एनसीआर में रहना है या जो इससे बाहर हो जाएंगी।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद व मेरठ के कुछ इलाके सीमांकन के बाद भी एनसीआर में रहेंगे। जबकि दूसरे इलाकों की सूचना अभी राज्यों से मिलनी बाकी है। इसके लागू होने के बाद एनसीआर एक गोल घेरे में होगा।
तो एनसीआर सीमा से दिल्ली पहुंचने में लगेंगे 30 मिनट
एनसीआरपीबी के 2041 के रीजनल प्लान के ड्राफ्ट में एनसीआर को आर्थिक गतिविधियों के लिहाज से वैश्विक व जीवंत शहर के तौर पर विकसित करने की योजना है। इसमें खास जोर आवाजाही की तेज और बेहतर सुविधा के विकास पर है। रैपिड ेरेल के जरिये लोग तीस मिनट के भीतर एनसीआर की सीमा तक पहुंच सकेंगे। इसके अलावा आवासीय, शैक्षणिक, स्वास्थ्य समेत दूसरी सुविधाओं के विकास पर भी जोर है।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि एनसीआर में इंडस्ट्रियल पार्क विकसित होंगे। राज्य सरकारें अपनी सीमा में इंटरनेशनल स्तर की सुविधा का विकास कर सकेंगी। एनसीआर को लॉजिस्टिक हब के तौर पर विकसित करने की योजना पर काम रही है। इसमें एनसीआर के सभी औद्योगिक संस्थान व गतिविधियां एक-दूसरे पर निर्भर होंगे। वहीं, तैयार माल को बाजार में पहुंचाने के लिए सभी केंद्र परिवहन के तेज माध्यमों से जुड़ जाएंगे। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के रीजनल प्लान-2041 के ड्राफ्ट में इसका खाका पेश किया गया है। इसमें माना गया है कि एनसीआर दक्षिण एशिया का बड़ा हब बन सकता है।
रीजनल प्लान में पूरे एनसीआर को एक इकाई के तौर पर देखा गया है। इसमें लॉजिस्टिक हब का विकास होना है। इसके लिए वैश्विक मानकों के ड्राई पोर्ट, इंटरनेशनल कार्गो, कंटेनर डिपो सरीखी बुनियादी सुविधाएं विकसित होंगी। साथ ही सभी इलाकों को रेल, सड़क व हवाई परिवहन से जोड़ा जाएगा। खास बात यह कि हुनरमंद कर्मी तैयार करने के लिए स्किल सेंटर व तकनीकी संस्थान, पढ़ाई-लिखाई के लिए एजूकेशन सेंटर, इलाज के लिए हेल्थ केंद्र समेत दूसरे संस्थानों की स्थापना होगी। इससे न सिर्फ कारोबार की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि मानवीय संसाधन का भी विकास होगा।
औद्योगिक विकास होगा तेज
लॉजिस्टिक हब तैयार होने से औद्योगिक विकास की रफ्तार में तेजी आएगी। मांग के मुताबिक उत्पाद तैयार होंगे। इनको एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से भेजना भी संभव होगा। औद्योगिक उत्पादों का निर्यात करना सुलभ होने सहित विदेशी मुद्रा में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। दिल्ली-एनसीआर के नजदीकी शहरों को संभावनाओं के लिहाज से रिंग मानते हुए परियोजनाओं के लिए मसौदा तैयार किया गया है। जमीन की सीमित उपलब्धता और बेतरतीब विकास को एक ही एजेंसी के तहत अमली जामा पहनाया जाएगा, ताकि कम से कम जमीन में गुणवत्ता सुविधाएं मुहैया की जा सकें।
प्रतिस्पर्धी कीमत पर होगी ढुलाई
लॉजिस्टिक हब में वेयर हाउस, ड्राई पोर्ट, कार्गो और कंटेनर डिपो सहित अन्य सुविधाएं भी होंगी। मौजूदा इंडस्ट्रियल पार्कों में तैयार होने वाले उत्पादों को की ढुलाई आसान होगी। रेल, वायुमार्ग के अलावा बंदरगाहों तक भी उत्पादों की ढुलाई के लिए सभी विकल्प मुहैया होंगे। इससे वक्त की मांग के मुताबिक उत्पादों की आपूर्ति की जा सके। एयर कार्गो टर्मिनल, रेल और सड़क परिवहन की सुविधाएं विकसित होने से देश विदेश में भी उत्पादों को प्रतिस्पर्धी कीमत पर भेजना संभव होगा।
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