इंदौर, प्रदीप मिश्रा । दुर्लभ औषधीय वनस्पति (rare medicinal plants) और जड़ी-बूटियों (herbs) के खजाने से भरपूर औषधीय उद्यान (medicinal garden) में आष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज (Ashtanga Ayurvedic College) अब 27 नक्षत्रों से सम्बंधित पेड़-पौधों की नक्षत्र वाटिका बनाने जा रहा है। आयुर्वेद में बीमारियों के इलाज में औषधीय चिकित्सा के साथ ग्रह व नक्षत्र सम्बन्धित पीड़ा की शांति के लिए सम्बन्धित वृक्ष के पंचांगों यानी जड़, छाल, पत्ते, तने के प्रयोग भी बताए गए हैं। प्राचीनकाल से आयुर्वेद चिकित्सा के साथ ज्योतिष परामर्श और निदान का बड़ा महत्व है।
इसलिए आयुर्वेद की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को वट-वृक्ष, पौधे, जड़ी-बूटी का चिकित्सा के अलावा ज्योतिष विज्ञान में इसके महत्व के बारे में पढ़ाया जाता है। औषधीय उद्यान प्रभारी डॉक्टर हरिओम परिहार ने बताया कि साल 1972 में अष्टांग आयुर्वेदिक कॉलेज 3 एकड़ में बनाया गया था। इसी की 1 एकड़ जमीन पर मरीजों का आयुर्वेदिक इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दिव्य औषधियों का उद्यान बना हुआ है। इस उद्यान में लगभग 500 प्रजाति के औषधीय पौधे मौजूद हैं। इनमें से लगभग 180 दुर्लभ वनस्पति प्रजाति के पेड़-पौधे शामिल हैं।
हर दिन 250 मरीज आते हैं
आयुर्वेद अस्पताल में हर दिन लगभग 250 मरीज इलाज कराने आते हैं। लोकमान्य नगर के अलावा राऊ में भी आयुर्वेद अस्पताल है। मरीजों के इलाज में इस औषधीय उद्यान में लगे पेड़-पौधे से सम्बंधित औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है। यहां पर पुराणों के अनुसार नवग्रह से सम्बंधित पेड़-पौधों की वाटिका मौजूद है। अब 27 नक्षत्र से सम्बन्धित पेड़-पौधों की वाटिका बनाने की तैयारी चल रही है।
आयुर्वेद में ज्योतिष विज्ञान का गूढ़ महत्व
वैदिक काल से ही आयुर्वेद चिकित्सा में ज्योतिष विज्ञान का बड़ा महत्व है। लगभग 1 एकड़ के औषधीय उद्यान में नवग्रह वाटिका तो पहले से ही मौजूद है। अब यहां पर 27 नक्षत्रों से सम्बंधित वृक्ष और उनके पौधे की वाटिका बनाने जा रहे है ं। बीमारियों का एक कारण ग्रह-नक्षत्र पीड़ा भी है। यदि इलाज के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा के साथ -साथ ज्योतिष विज्ञान के हिसाब से ग्रह-नक्षत्र पीड़ा का उपाय किया जाए तो मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है । -अजित पाल सिंह, प्रिंसिपल डीन आष्टांग, आयुर्वेदिक कॉलज इंदौर
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