नई दिल्ली। मणिपुर (Manipur) में असम राइफल्स (Assam Rifles) के काफिले पर हुए हमले(Attack on the convoy of Assam Rifles) में शामिल समूहों की पहचान की कोशिश की जा रही है। लेकिन शुरुआती पड़ताल में इस वारदात के पीछे मणिपुर (Manipur) में सक्रिय आतंकी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (Terrorist organization People’s Liberation Army) का हाथ बताया जा रहा है। इस समय मणिपुर (Manipur) में आधा दर्जन से ज्यादा उग्रवादी गुट सक्रिय हैं। इनके कुछ नेताओं ने म्यांमार (myanmar) में भी अपने अड्डे बना रखे हैं। इनका संबंध चीन (china) से भी रहा है। फिलहाल वास्तविक वजहों की पड़ताल करने में एजेंसियां जुटी हुई हैं।
राजनीतिक फ्रंट भी बनाया
यह संगठन अपनी स्थापना के वक्त से ही भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और राज्य की पुलिस को निशाना बनाता आया है। 1990 के दशक में इसने राज्य पुलिस के जवानों पर हमला नहीं करने की घोषणा की थी। 1982 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रमुख थॉडम कुंजबेहारी की मौत और 1981 में एन. बिशेश्वर सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह संगठन थोड़ा कमजोर पड़ गया था। लेकिन 1989 में संगठन ने अपना एक राजनीतिक फ्रंट बनाया, जिसका नाम रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) रखा।
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