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Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष कब से शुरू हो रहे हैं? जानें श्राद्ध कर्म का समय और विधि

September 16, 2024

उज्‍जैन। सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha) आरंभ हो जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में घर के पूर्वज पितृ लोग से धरती लोक पर आते हैं। इस दौरान श्राद्ध और धार्मिक अनुष्ठान से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।

ज्योतिषाचार्य एस एस नागपाल ने बताया कि वैसे तो 17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध है, लेकिन 18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध से ही पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाएगी और 2 अक्टूबर को समापन होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धा के साथ पितरों को भोजन कराना ,तर्पण और दान-पुण्य के कार्य शुभफलदायी होते हैं।

श्राद्ध का उत्तम समय :कुतुप काल,रोहिण काल और अपराह्न काल में पितृ कर्म के कार्य शुभ माने जाते हैं। इस समय पितृगणों को निमित्त धूप डालकर तर्पण,ब्राह्मण को भोजन कराना और दान-पुण्य के कार्य करने चाहिए।

कुतुप काल :सुबह 11 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक

रोहिण काल :दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक



कैसे किया जाता है श्राद्ध ?
पितृ पक्ष में पितरों की श्राद्ध तिथि के अनुसार ही पितरों की आत्मशांति के लिए श्रद्धाभाव से श्राद्ध करना चाहिए। पं. आनंद दुबे के अनुसार,अगर पितरों की पुण्यतिथि की न जानकारी नहीं है, तो पितृविसर्जनी अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को श्राद्ध का आयोजन किया जा सकता है।

श्राद्ध करने की सरल विधि-
जिस तिथि में पितरों का श्राद्ध करना हो, उस दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिपकर और गंगाजल से पवित्र करें। महिलाएं स्नान करने के बाद पितरों के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। श्राद्ध भोज के लिए ब्राह्मणों को पहले से ही निमंत्रण दे दें। ब्राह्मणों के आगमन के बाद उनसे पितरों की पूजा और तर्पण कराएं। पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध,दही, घी और खीर अर्पित करें। ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक भोजन कराएं। अपना क्षमतानुसार दान-दक्षिणा दें। इसके बाद आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें। श्राद्ध में पितरों के अलावा देव,गाय,श्वान,कौए और चींटी को भोजन खिलाने की परंपरा है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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