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    Pitru Paksha 2022 : इस तारीख से शुरू होंगे पितृ पक्ष, जानिए कैसे करें पितरों को याद

  • September 05, 2022

    नई दिल्‍ली । मान्याताओं के अनुसार, हिन्दू धर्म (Hindu religion) में पितृपक्ष (Pratipada) का काफी महत्व है. पितृ पक्ष (Pitru Paksha) पर पितरों की मुक्ति के लिए कार्य किए जाते हैं. ये पूर्वजों को ये बताना का एक तरीका है कि वो अभी भी परिवार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं. पितृपक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद लिया जाता है और गलतियों के लिए क्षमा मांगी जाती है. इन दिनों में पूर्वजों या पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं. पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. इस बार पितृ पक्ष 2022 या प्रतिपदा श्राद्ध, 10 सितंबर 2022 से शुरू हो रहे हैं जो 25 सितंबर 2022 तक चलेंगे.

    इन 16 दिनों में परिवार के उन मृत सदस्यों के लिए श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु शुक्ल और कृष्ण पक्ष प्रतिपदा में हुई थी. मान्यता है कि श्राद्ध करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. प्रतिपदा श्राद्ध को पड़वा श्राद्ध (Padwa Shraddha) के नाम से भी जाना जाता है. पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. इस पहले दिन श्राद्ध करने का मुहूर्त क्या है? पितृ पक्ष का महत्व क्या है? पितृ पक्ष में कौन सी गलतियां करने से बचें? इस बारे में जान लीजिए.

    पितृ पक्ष का मुहूर्त (Muhurt of Pitru Paksha 2022)
    पितृ पक्ष श्राद्ध, पर्व श्राद्ध (पार्वण श्राद्ध) होते हैं और इन्हें करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त होता है. इन दोनों शुभ मुहूर्त के बाद अपराह्न काल समाप्त होने तक भी मुहूर्त चलता है. श्राद्ध के अंत में तर्पण (तर्पण) किया जाता है जिसमें सूर्य की तरफ मुंह करके घास की कुश (डाव) से देते हैं. प्रतिपदा श्राद्ध शनिवार, 10 सितंबर 2022 से शुरू हैं तो इस दिन श्राद्ध अनुष्ठान का समय भी जान लीजिए.


    कुतुप मुहूर्त (Kutup Muhurat) – दोपहर 12:11 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक, अवधि: 49 मिनट

    रोहिना मुहूर्त (Rohina Muhurat) – दोपहर 01:00 बजे से दोपहर 01:49 बजे तक, अवधि: 49 मिनट

    अपराह्न मुहूर्त (Aparahna Muhurat)- 01:49 अपराह्न से 04:17 अपराह्न, अवधि: 02 घंटे 28 मिनट

    पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां (Dates of Shradh in Pitru Paksha)

    पितृ पक्ष 15 दिन तक चलते हैं और इन दिनों श्राद्ध करने की कौन सी तिथियां यह भी जान लीजिए:

    पूर्णिमा श्राद्ध : 10 सितंबर 2022:
    प्रतिपदा श्राद्ध : 10 सितंबर 2022
    द्वितीया श्राद्ध : 11 सितंबर 2022
    तृतीया श्राद्ध : 12 सितंबर 2022
    चतुर्थी श्राद्ध : 13 सितंबर 2022
    पंचमी श्राद्ध : 14 सितंबर 2022
    षष्ठी श्राद्ध : 15 सितंबर 2022
    सप्तमी श्राद्ध : 16 सितंबर 2022
    अष्टमी श्राद्ध: 18 सितंबर 2022
    नवमी श्राद्ध : 19 सितंबर 2022
    दशमी श्राद्ध : 20 सितंबर 2022
    एकादशी श्राद्ध : 21 सितंबर 2022
    द्वादशी श्राद्ध: 22 सितंबर 2022
    त्रयोदशी श्राद्ध : 23 सितंबर 2022
    चतुर्दशी श्राद्ध: 24 सितंबर 2022
    अमावस्या श्राद्ध: 25 सितंबरर 2022

    पितृ पक्ष का महत्व (Importance of pitru paksha)
    मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं. उनकी कृपा से जीवन में आने वाली कई प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं. व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों से भी मुक्ति मिलती है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि श्राद्ध न होने स्थिति में आत्मा को पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती. पितृ पक्ष में नियमित रूप से दान- पुण्य करने से कुंडली में पितृ दोष दूर हो जाता है. पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण का खास महत्व होता है.

    पितृपक्ष में ना करें ये गलतियां (Do not make these mistakes in Pitru Paksha)

    • हिंदू शास्त्रों में प्याज और लहसुन को ‘तामसिक’ माना जाता है, जो हमारी इंद्रियों को प्रभावित करती है. पितृपक्ष की अवधि के दौरान, खाने में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
    • पितृपक्ष के दौरान कोई भी जश्न या उत्सव नहीं मनाना चाहिए और ना ही इसका हिस्सा बनना चाहिए. इस अवधि में किसी भी तरह का जश्न मनाने से आपके पूर्वजों के प्रति आपकी श्रद्धा प्रभावित होती है.
    • पितृपक्ष की अवधि को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान कुछ भी नया शुरू ना करने की सलाह दी जाती है. इस दौरान परिवार के सदस्यों को कुछ भी नई चीज नहीं खरीदनी चाहिए.
    • पितृपक्ष का समय पूर्वजों को समर्पित है, इसलिए इस अवधि में शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए.
    • पितृपक्ष के दौरान नाखून काटने, बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने से बचना चाहिए.

    पितृपक्ष में कैसे करें पितरों को याद (How to remember ancestors during Pitru Paksha?)
    पितृपक्ष में हम अपने पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित करें. यह जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय दिया जाता है. जल में काला तिल मिलाया जाता है और हाथ में कुश रखा जाता है. जिस दिन पूर्वज की देहांत की तिथि होती है, उस दिन अन्न और वस्त्र का दान किया जाता है. उसी दिन किसी निर्धन को भोजन भी कराया जाता है. इसके बाद पितृपक्ष के कार्य समाप्त हो जाते हैं.

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