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    पितृ पर्वत पर ध्यान मुद्रा में विराजे पितरेश्वर हनुमान, भक्तों का करते हैं कल्याण

  • January 18, 2024

    इन्दौर। कुछ ही समय में राम भक्तों के दिलों में घर करने वाला पितरेश्वर हनुमान धाम हनुमान भक्तों के लिए भी आस्था का केन्द्र बन गया है। यहां हनुमानजी अपने वृहद आकार में ध्यान मुद्रा में विराजमान हैं, साथ ही भगवान श्रीराम की भक्ति कर रहे हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी अष्ट धातु की प्रतिमा है। पितरेश्वर हनुमान मूर्ति को लगवाने से लेकर प्राण-प्रतिष्ठा तक का श्रेय प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को जाता है।

    कैलाश विजयवर्गीय जब 2002 में इंदौर के महापौर थे, उस दौरान उन्होंने गोम्मटगिरि पहाड़ी के सामने देवधरम टेकरी पर बैठे हनुमानजी की सबसे बड़ी मूर्ति लगवाने का फैसला किया था। उन्होंने शहर के लोगों से आग्रह किया कि वे ‘पितृ पर्वत’ पर अपने पितरों के नाम से एक पौधा लगाएं। इसकी शुरुआत हुई तो 20 सालों में लोगों ने पितृ पर्वत पर हजारों पौधे रोपे, जिसमें से कई तो विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं। यहां अब खूबसूरत हरियाली देखते ही बनती है। यहां पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित होने के बाद इस स्थान का नया नामकरण ‘पितरेश्वर हनुमान धाम’ हो गया है। यानि पितृ पर्वत अब पितरेश्वर हनुमान धाम से जाना जाता है।

    20 वर्ष तक अन्न ग्रहण नहीं किया

    प्रदेश की भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह प्रण लिया था कि भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमानजी की प्रतिमा जब तक पितृ पर्वत पर स्थापित नहीं हो जाती है, तब तक मैं अन्न ग्रहण नहीं करूंगा। 20 साल बाद जब उनका संकल्प पूरा हुआ तो उन्होंने पत्नी आशा विजयवर्गीय के हाथ से अन्न ग्रहण किया था।


    देश की पहली अष्ठ धातु की विशाल प्रतिमा

    पूरे देश में सबसे बड़ी अष्टधातु की मूर्ति होने का सौभाग्य भी इन्दौर को ही मिला है। पितरेश्वर धाम में विराजे हनुमानजी की यह प्रतिमा 72 फुट ऊंची है, जो पूरी तरह से अष्टधातु से बनी है। बताया जाता है कि इस मूर्ति का वजन करीब 108 टन है। इस मूर्ति के निर्माण में करीब 7 साल का समय लगा था। इस मूर्ति का निर्माण ग्वालियर के मूर्तिकारों ने किया था। मूर्ति के पास 5 हाईमास्ट लगे हुए हैं, जिस कारण से मूर्ति के आसपास दिन-रात एक जैसा माहौल रहता है।

    प्राचीन शिव मंदिर भी मौजूद है पितृ पर्वत पर

    पितरों की स्मृति में यहां एक लाख पौधारोपण किया गया है। श्री पितरेश्वर हनुमानजी की प्राण-प्रतिष्ठा कर उन्हें जागृत किया गया है। यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जिसका जीर्णोद्धार होने के बाद ही धाम का निर्माण पूर्ण हो पाया। यहां प्राचीन सिद्ध भैरव मंदिर है। मान्यता है कि भैरव की उत्पत्ति शिव के रुधिर से हुई थी। यहां हनुमानजी की दो प्रतिमाएं विराजित हैं। एक मूर्ति की पूजा होती है, जबकि एक के दर्शन किए जाते हैं।

    सात चक्र जिसमें से प्रवाहित होती है ब्रह्मांड ऊर्जा

    प्रतिमा पर 7 चक्र मौजूद हैं, जिनसे ब्रह्मांड की ऊर्जा प्रवाहित होती है। ऐसा कहा जाता है कि श्री पितरेश्वर हनुमानजी से जो भी भक्त सच्चे मन से जो कुछ मांगते हैं, हनुमानजी उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। पितेश्वर पर्वत पर लोगों की भीड़ लगी रहती है। इंदौर का यह स्थान पूरे एमपी में फेमस है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

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