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    पीथमपुर की सुरंग ने बजाई इंदौर-दाहोद प्रोजेक्ट की बैंड

  • March 09, 2023

    • तीन महीने बाद भी काम शुरू नहीं कर पाई कंपनी, इंदौर-पीथमपुर-धार का रेल संपर्क अटका

    इंदौर। इंदौर-दाहोद रेल लाइन प्रोजेक्ट के तहत पीथमपुर की आधी-अधूरी सुरंग ने प्रोजेक्ट की बैंड बजा दी है। दो साल से ज्यादा समय से काम ठप है। हद तो अब हो रही है, जब ठेका देने के लगभग तीन महीने बीतने के बावजूद अब तक कोई मैदानी काम शुरू नहीं किया गया है। तीन किलोमीटर लंबी यह सुरंग वर्तमान टीही और प्रस्तावित पीथमपुर स्टेशन के बीच बनना है। कोरोना के दौरान रेलवे बोर्ड ने सुरंग समेत इंदौर-दाहोद रेल लाइन के लिए हो रहे सभी कार्यों पर रोक लगा दी थी। दिसंबर-21 में सभी बंद काम फिर शुरू करने के आदेश दिए गए थे।

    उसके बाद यह सुरंग टेंडर प्रक्रियाओं में उलझती गई और एजेंसी नहीं मिल पाई। 2022 के अंत में जैसे-तैसे एक कंपनी मिली, जिसने काम तो ले लिया, लेकिन अब तक किया कुछ नहीं। इंदौर और धार के लिहाज से यह सुरंग का जल्द से जल्द बनना बहुत जरूरी है, क्योंकि तभी दोनों शहरों के बीच रेल संपर्क जुड़ सकेगा। दोनों शहरों के बीच पीथमपुर जैसा महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र भी है और उसे भी सुरंग नहीं बनने से रेल सुविधा नसीब नहीं हो पा रही है। रेल अफसर टीही से गुणावद होते हुए धार के बीच रेल लाइन के लिए अर्थवर्क और पुल-पुलियाओं जैसे काम शुरू होने की बात जरूर कर रहे हैं, लेकिन जब तक सुरंग नहीं बनेगी, इन कार्यों का कोई मतलब नहीं है।

    इसी महीने काम शुरू करने की तैयारी है
    पश्चिम रेलवे इंदौर के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीना ने निर्माण विभाग के हवाले से बताया कि सुरंग के टेंडर हो चुके हैं और कंपनी को ठेका दिया जा चुका है। कंपनी को मोबिलाइजेशन के लिए समय दिया गया है, जिसमें उसे मशीनरी आदि का इंतजाम करना है। सुरंग बनाने की मशीनें काफी बड़ी होती हैं, इसलिए थोड़ा समय ज्यादा लग रहा है। मार्च में काम शुरू हो जाएगा।


    कम से कम डेढ़ साल और लग सकता है जानबूझकर जोड़ी गई थी सुरंग

    • बीच में काम रुकने की वजह से सुरंग अभी आधी-अधूरी हालत में है। जितनी सुरंग खोदी गई थी, उसमें पानी भर चुका है। दो साल से कोई देख-रेख नहीं होने से सुरंग में मरम्मत करना होगी, साथ ही भरा पानी खाली करना बड़ी चुनौती है।
    • आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सुरंग वित्तीय वर्ष 2024-25 तक ही बनकर तैयार होगी, क्योंकि अप्रैल तक काम शुरू हो भी गया, तो दो-तीन महीने बाद मानसून आ जाएगा। फिर काम अक्टूबर से ही गति पकड़ सकेगा।
    • इंदौर से पीथमपुर के बीच कहीं इतने बड़े पहाड़ या घाटियां नहीं हैं, जहां रेल लाइन के लिए सुरंग बनानी पड़े। इंदौर-दाहोद रेल लाइन के मूल प्रोजेक्ट में सुरंग नहीं थी। पश्चिम रेलवे के कुछ अफसरों ने 2010-12 के दौरान इसे जानबूझकर जोड़ा और उसके पीछे तर्क दिया गया कि यह सुरंग जमीन अधिग्रहण का पैसा बचाने के लिए जोड़ी गई है। यह दावा इतना खोखला निकला कि आज इस सुरंग की लागत 150-200 करोड़ रुपए तक जा पहुंची है।

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