टोंक (Tonk) । कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) एक बार फिर टोंक से किस्मत आजमा रहे हैं। पिछले पांच चुनाव में हर बार अपना विधायक बदलने वाली इस सीट से पायलट के सामने अपना जीत का अंतर बढ़ाने की चुनौती है। वहीं, पायलट समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) से ज्यादा मतों के अंतर से जिताने में जुटे हैं। वर्ष 2018 चुनाव में पायलट ने गहलोत से दस हजार अधिक वोट से जीत दर्ज की थी।
ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या पायलट इस बार कांग्रेस की जीत की स्थिति में अपनी और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बीच की दूरी को पाट पाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि पायलट ने विधायक के तौर पर बनास नदी पर 3.5 किलोमीटर लंबा पुल बनाकर शहर को बड़ी सौगात दी है। यह पुल शहर को गहलोद गांव से जोड़ता है। करीब 250 करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल गहलोद सहित आसपास के लगभग 50 गांवों को शहर से जोड़ देगा। उनके समर्थक चाहते हैं कि इस पुल का शुभारंभ पायलट मुख्यमंत्री के तौर पर करें।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र
मुस्लिम बहुल टोंक सीट पर कांग्रेस पिछले 50 साल से मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है। जाहिदा खान कई बार जीतकर विधानसभा पहुंची। वहीं, 1980 से 2013 तक भाजपा ने सिर्फ हिन्दू उम्मीदवारों को टिकट दिया। पर वर्ष 2018 में कांग्रेस ने सचिन पायलट को टिकट दिया। वहीं, भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के दबाव में उनके भरोसेमंद युनूस अली को टोंक से उम्मीदवार बनाया था। टोंक में करीब 60 हजार मुस्लिम, 35 हजार गुर्जर, 45 हजार अनुसूचित जाति और 15 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं।
पायलट के सीएम बनने पर लोकसभा में पार्टी की राह आसान होगी
पायलट समर्थक मुमताज अहमद कहते हैं कि इस बार कांग्रेस चुनाव जीतती है, तो पायलट को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। वह सिर्फ इतने तक नहीं रुकते। वह कहते हैं कि पायलट मुख्यमंत्री बनते हैं, तो लोकसभा में पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। वह मानते हैं कि 2018 में पायलट के मुख्यमंत्री नहीं बनने से उन्हें मायूसी हुई थी। पायलट को मुस्लिम मतदाताओं के ज्यादातर वोट मिलने की उम्मीद है। घंटाघर पर मोटरसाइकिलों की मरम्मत का काम करने वाले अमीन कहते हैं कि हम कांग्रेस को वोट करेंगे। एआईएमआईएम उम्मीदवार शुएब खान को ज्यादा वोट नहीं मिलेंगे। वहीं, गुर्जर मतदाताओं का रुझान भी पायलट की तरफ है, हालांकि भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि गुर्जर मतदाताओं को फिर से भाजपा के साथ जोड़ा जाए।
टोंक के लोगों की मांग के बावजूद सचिन पायलट हमेशा यह कहते रहे हैं कि सबसे पहले हम सबको मिलकर जीत दर्ज करनी होगी। विधायक और हाईकमान ही अगला मुख्यमंत्री तय करेंगे। पर वह इस बार टोंक सीट से अपनी रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं। यही वजह है कि टिकट के ऐलान के फौरन बाद उन्होंने सभी बूथ कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनको जीत का मंत्र दिया। वार्ड और पंचायतों से भी बात की। पार्टी नेता मानते हैं कि रमेश विधूड़ी टोंक सीट पर तो ज्यादा असर नहीं डाल पाएगें, पर टोंक जिले की मालपुरा, देवली और निवाई सीट पर गुर्जर वोट पर असर डाल सकते हैं। पिछली बार चार में सिर्फ एक सीट भाजपा को मिली थी, जबकि तीन सीट पर कांग्रेस जीती थी। ऐसे में भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह टोक की ज्यादा से ज्यादा सीट जीत सके।
बनास नदी पर पुल इसलिए जरूरी
मानसून के दौरान बनास नदी में जलस्तर बढ़ जाता है। पानी अस्थायी पुल को बहाकर ले जाता है। अस्थायी पुल टूटने से गहलोद गांव सहित करीब 50 गांवों का संपर्क शहर से टूट जाता है। इन गांवों के लोगों को करीब 20 किलोमीटर लंबा चक्कर काटकर शहर पहुंचना पड़ता है। पुल का निर्माण कार्य जारी है। इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विकास को रफ्तार देने के लिए ऐसी कई योजनाओं की जरूरत है।
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