कोलकाता । परेश अधिकारी (Paresh Adhikari) को शिक्षा मंत्री के पद से (From the Post of Education Minister) तत्काल हटाने को लेकर (Regarding Immediate Removal) कलकत्ता हाईकोर्ट में (In Calcutta High Court) एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है (Has been Filed) । राज्य के भाजपा नेता प्रदीप्त अर्जुन द्वारा मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष जनहित दायर की गई है।
अपनी याचिका में, भाजपा ने तर्क दिया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के पहले के आदेश के बाद, यह संदेह से परे साबित हुआ है कि अधिकारी ने अपनी बेटी अंकिता अधिकारी को अवैध रूप से उच्च माध्यमिक राजनीति विज्ञान शिक्षक के रूप में नियुक्त करने के लिए अनैतिक रूप से अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अदालत के आदेश के बाद, अंकिता अधिकारी को उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया और कूचबिहार जिले के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा लिया गया वेतन भी वापस करना पड़ा, जहां परेश चंद्र अधिकारी विधायक हैं। खंडपीठ ने जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया है और यह मामला 5 अगस्त को सुनवाई के लिए आ सकता है।
इस बीच, राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से उनके सभी मंत्री पद छीन लिए गए हैं, क्योंकि उन्हें 23 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती अनियमितताओं में उनकी कथित संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया था। तृणमूल कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी के अलग-अलग पदों से मुक्त कर दिया है। चटर्जी पहले ही दावा कर चुके हैं कि वह साजिशों का शिकार हुए हैं।
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