नई दिल्ली(New Delhi) । नीति आयोग(Policy Commission) की बैठक में 2047(meeting in 2047) तक भारत को विकसित (developed in India)राष्ट्र बनाने के लिए दृष्टिपत्र पेश (present a vision document)किया गया। पत्र के अनुसार 2047 तक प्रति व्यक्ति आय को 15 लाख सालाना तक पहुंचाना होगा जो अभीकरीब दो लाख रुपये है। मौजूदा स्तर से इसमें आठ गुना की बढोत्तरी करनी होगी। इसी प्रकार जीडीपी को 30 खरब डालर तक पहुंचना होगा जो अभी 3.3 खरब डालर है। इसमें नौ गुना की बढोत्तरी करनी होगी।
दृष्टिपत्र में विकसित भारत के सामाजिक संकेतकों का भी आकलन किया गया है। जैसे 2047 में भारतीयों की औसत आयु 84 साल होगी जो अभी 71 साल है। कुल प्रजनन दर तब गिरकर 1.8 रह जाएगी जो अभी 2.03 है। लेकिन इसका यह मतलब नही कि तब आबादी कम हो जाएगी। आज देश की आबादी 140 करोड है लेकिन तब यह 165 करोड पहुंच जाएगी। परन्तु तब यह आबादी देश की ताकत बनेगी। 165 करोड में 112 करोड लोग कामकाजी आयु वर्ग के होंगे। अभी इस श्रेणी में 96 करोड लोग हैं। भारत तब सर्वाधिक कामकाजी लोगों वाला देश होगा।
दृष्टिपत्र के अनुसार विकसित भारत में साक्षरता दर सौ फीसदी होगी जो अभी मुश्किल से 77 फीसदी तक पहुंच पाई है। इसी प्रकार लोगों का रहन-सहन इतना बेहतर हो जाएगा कि शिशु मृत्यु दर सिर्फ दो रह जाएगी। अभी यह प्रति हजार पर 28 है। महिलाओं को लेकर जिक्र किया गया है कि कार्य बल में महिलाओं की हिस्सेदारी 70 फीसदी तक पहुंच जाएगी जो अभी महज 37 प्रतिशत है। लैंगिक समानता में सुधार होगा और भारत शीर्ष 10 देशों में शामिल होगा। अभी वह 122वें नबर पर है।
गरीबी मुक्त गांव बनाने का लक्ष्य
विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्यों को न केवल लोगों के जीवन स्तर में बदलाव की रणनीति तैयार करनी होगी। इसके साथ ही राज्यों को अपने यहां निवेश को आकर्षित करने के लिए भी विस्तृत कार्य योजना भी बनानी होगी। विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्यों को गरीब मुक्त गांव बनने का लक्ष्य रखा गया है। नीति आयोग की बैठक के बाद शनिवार शाम को आयोग की तरफ से की गई प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी गई। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवी आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी बिंदुओं पर राज्यों के साथ रचनात्मक बैठक हुई है।
1.गरीबी मुक्त गांव बनाने का लक्ष्य
बैठक का पहला मुद्दा गरीबी मुक्त गांव (शून्य गरीब गांव) बनाने का लक्ष्य रखा गया है। गरीबी मिटाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर लोगों के लिए 24 घंटे सातों दिन शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा और बिजली उपलब्ध कराने का काम किया जाएगा। बैंकिंग और ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ आवासीय सुविधा पर काम होगा। युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने व उद्यमी बनाने के लिए उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाना। तकनीक के इस्तेमाल करते हुए जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिए कृषि, मेडिकल व अन्य क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा दिया जाना भी शामिल है। लोगों के लिए परिवहन की उपलब्धता को सुगम बनाने की दिशा में राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम करेगी।
2.राज्यों में बने निवेश अनुकूल माहौल
बैठक में दूसरा अहम मुद्दा औद्योगिक विकास का रहा। आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि मौजूदा समय में कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो बाकी राज्यों में निवेश का अनुकूल माहौल नहीं है। इसलिए सभी राज्यों को अपने स्तर पर ऐसी नीति को तैयार करना होगा, जो निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करे। इससे विदेशी निवेश को राज्यों स्तर पर आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
3.बाढ़ का समाधान करने का लक्ष्य
नीति आयोग की बैठक में तीसरा मुद्दा बाढ़ का रहा। राज्यों की तरफ से कहा गया कि देश का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित होता है, जिससे आम लोगों के साथ केंद्र व राज्य सरकारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग विस्थापित होने के लिए मजबूत होते है। ऐसे में बाढ़ का समाधान निकालने के लिए नदी जोड़ो जैसे अभियान को चलाए जाने की जरूरत है, जिस पर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनी है।
राज्य अपने स्तर पर तैयार करेंगे प्लान
आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य अपने यहां पर आर्थिक व सामाजिक विकास को ध्यान में रखकर योजना तैयार करेंगे। अभी तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अपने राज्य में आर्थिक विकास को लेकर कार्य योजना तैयार की है। बाकी राज्य भी जल्द योजना तैयार करके नीति आयोग को सौपेंगे।
कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत
नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद्र ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका होगी। इसमें राज्यों के साथ मिलकर उत्पादन क्षमता को बढ़ाने, उपजाऊ बीजों की किसानों तक पहुंच सुनिश्चित करें। किसानों के लिए बेहतर तकनीक, उचित सिंचाई व्यवस्था के साथ ही कृषि उत्पादों की उच्च गुणवत्ता वाली भंडार व्यवस्था को भी विकसित किए जाने की जरूरत होगी।
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