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    जरुरी मामलों की ही होगी भौतिक सुनवाई

  • January 10, 2022

    • कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव न्यायालय पर

    नागदा। कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए न्यायालयीन मामलों की सुनवाई सुरक्षित माहौल में हो, इस हेतु जिला न्यायालय द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए है। आज से आगामी आदेश तक इन्ही निर्देशों का पालन करते हुए न्यायालय काम करेंगे। उच्च न्यायालय जबलपुर के एक परिपत्र के तहत जिले में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों, जिला एवं तहसील अधिवक्ता संघों के साथ विचार-विमर्श उपरांत जिले में बढ़ते हुए कोविड-19 संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए उज्जैन जिले के न्यायालयों में सोमवार से आगामी आदेश तक भौतिक एवं वर्चुअल सुनवाई के निर्देश दिए गए है।


    यह भी निर्देश जारी हुए
    सत्र, जिला स्तर के न्यायालयों में एक दिन में 5-से-10 प्रकरण तथा न्यायिक मजिस्ट्रेट, सिविल जज स्तर के न्यायालयों में एक दिन में 15 से 20 प्रकरण नियत किये जायें। भौतिक सुनवाई योग्य प्रकरण एक समय में एक ही प्रकरण की सुनवाई सुनिश्चित की जाए और उस दौरान एक ही प्रकरण के उभयपक्ष के एक-एक अधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता, साक्षी उपस्थित रहेंगे। जमानतदार व सुपुर्ददार की पहुँच निर्धारित वीसी रूम तक ही होगी। नया प्रकरण, आवेदन पेश करने हेतु अधिवक्ता, पक्षकार की पहुँच फाइलिंग काउंटर तक ही रहेगी। न्यायालयीन प्रकरणों की आदेश पत्रिकाओं में आगामी आदेश तक या अपरिहार्य कारणों को छोड़कर अधिवक्ताओं, पक्षकारों की उपस्थिति के संबंध में हस्ताक्षर आदि न कराये जाये। नियत प्रकरणों की कॉज लिस्ट न्यायालय के बाहर सूचना पटल पर एक दिन पूर्व चस्पा हो। जिन न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और पक्षकारों को होम क्वारंटाईन या आईसोलेट किया गया है। उनकी न्यायालय परिसर में उपस्थिति पूर्णत: प्रतिबंधित। कोई भी न्यायिक अधिकारी, कर्मचारी, अधिवक्ता बिना मॉस्क पहने न्यायालय परिसर के अंदर प्रवेश नहीं करें। केवल ऐसे अधिवक्ताओं को न्यायालय परिसर में प्रवेश करने की अनुमति होगी जिनके प्रकरण सुनवाई हेतु उक्त दिनांक को नियत हैं और प्रकरण से संबंधित एक ही अधिवक्ता को न्यायालय कक्ष में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और प्रकरण की सुनवाई के उपरांत अधिवक्ता तत्काल न्यायालय कक्ष से प्रस्थान करेंगे। दोनों डोज से वैक्सीनेटेड होने के उपरांत ही अधिवक्ता अपने प्रकरण की सुनवाई के कार्य से ही न्यायालय करेंगे। न्यायालय परिसर को सेनेटाईज करने और हाथ धोने की व्यवस्था न्यायालय के प्रवेश द्वार पर रखी जाये।

    इन प्रकरणों की होगी भौतिक सुनवाई
    प्रथम रिमाण्ड एवं धारा 164 दं.प्र. सं. के कथन। ऐसे प्रकरण (सिविल, क्रिमिनल एवं अन्य) जिनके संबंध में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय या अन्य वरिष्ठ न्यायालयों द्वारा समय-सीमा में निराकरण का आदेश दिया गया हो। अन्य अति आवश्यक प्रकृति के सिविल एवं आपराधिक प्रकरण जिनमें न्यायालय के मतानुसार तात्कालिक भौतिक सुनवाई की आवश्यकता हो।

    इन प्रकरणों की होगी वर्चुअल सुनवाई
    अंतिम तर्क के प्रक्रम के समस्त प्रकरण। विचाराधीन बंदियों से संबंधित समस्त प्रकरण जिनमें वर्चुअल माध्यम से अभियुक्तगण की उपस्थिति अन्य कार्यवाही एवं साक्ष्य का लेखन किया जाना संभव हो।

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