भोपाल। प्रदेश में पेयजल संकट गहराने लगा है। इसकी जमीनी हकीकत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चुनाव क्षेत्र बुधनी के प्रवास के दौरान खुद देखकर आए। पेयजल संकट इतना भयाभय दिखा कि मुख्यमंत्री रातभर सो नहीं पाए, सोमवार सुबह होते ही उन्होंने पीएचई के अफसरों की बैठक बुला ली और फील्ड में दौड़ा दिया। 12 घंटे बाद शाम को मुख्यमंत्री ने जब फिर से बैठक बुलाई तो अफसरों ने कागजी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री को प्रदेश भर में पानी ही पानी दिखा दिया। पीएचई के अफसरों ने बताया कि प्रदेश भर में 95 फीसदी से ज्यादा हैंडपंप चालू है। हालांकि पानी कितने दे रहे हैं, इसका डाटा अफसर नहीं गिना पाए। कागजी आंकड़ों से मुख्यमंत्री संतुष्ठ भी दिखे।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 5 लाख 57 हजार हैंडपंप और 16 हजार 915 नल जल कनेक्शन हैं।
जिनमें से 95.80 फीसदी यानी 5.33 लाख हैंडपंप चालू स्थिति में हैं। हालांकि मौजूदा स्थिति में कितने हैंडपंप पीने का पानी दे रहे हैं, इसका जमीनी डाटा पीएचई के पास नहीं है। फिलहाल पीएचई के अफसर सरकार को हंैडपंप के आंकड़े बताकर खुश करने में सफल रहे हैं। सुबह बैठक में मुख्यमंत्री खासे चिंतित और नाराज दिखे थे, शाम की बैठक में मुख्यमंत्री संतुष्ठ दिखे थे। पीएचई के अफसरों ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का अमला सक्रिय है। हैंडपंप के सतत संचालन के लिए विभागीय और आउटसोर्स अमला कार्यरत है। जल-स्तर गिरने की स्थिति में हैंडपंप में मोटर पंप की सहायता से आवश्यक व्यवस्था की जाएगी जिससे पेयजल की आपूर्ति बिना बाधा होती रहे। प्रदेश में 2 हजार से अधिक सिंगल फेस मोटर पंप उपलब्ध हैं।
पानी पिलाना हमारी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने अफसरों को याद दिलाया कि शहर हो या गाँव, सभी जगह पीने के पानी के पर्याप्त प्रबंध करना हमारा दायित्व है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगरीय निकाय और ग्राम पंचायतें अपने दायित्वों के निर्वहन में तत्पर बने रहे। जिन स्थानों पर पेयजल की कमी की जानकारी समाचार-पत्रों, सोशल मीडिया आदि से प्राप्त हो, उसका तत्काल समाधान किया जाए।
5 हजार नए हैंडपंप लगाएं
मुख्यमंत्री ने जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत कार्यालय में पेयजल समस्या की शिकायत के लिए रजिस्टर संधारित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हैंडपंप सुधारने के लिए विकासखंड स्तर पर मोबाइल टीम गठित की जाए। ग्रीष्म ऋतु में पेयजल समस्या के निदान के लिए 5000 नये हैंडपंप लगाने का लक्ष्य निर्धारित कर तेजी से कार्य पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री के पास है पीएचई
पीएचई किसी मंत्री के पास नहीं है। यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है। हालांकि पेयजल समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन पर रोजाना हजारों शिकायतें आती हैं, लेकिन पीएचई के अफसर इन शिकायतों को उतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं, जितनी गंभीरता से उन्होंने सीएम के क्षेत्र में गहराते पेयजल संकट को दूर करने में लिया है।
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