नई दिल्ली: विश्वविद्यालय में अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट और प्रोफेशनल्स को लेकर युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने बड़ा फैसला लिया है. देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का ख्वाब देख रहे युवाओं के लिए राहत भरी खबर है. अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री (PhD Degree) अनिवार्य नहीं होगी. यूजीसी के इस फैसले से संबंधित विषय के विशेषज्ञ यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे. स्टूडेंट्स को भी इसका फायदा मिलेगा.
यूजीसी के चेयरपर्सन जगदीश कुमार ने कहा कि अब इस तरह के पदों के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म की जा रही है. शिक्षा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2021 में 10 हजार से अधिक पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली हैं. युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के चेयरपर्सन जगदीश कुमार के अनुसार, ‘कई विशेषज्ञ हैं जो पढ़ाना चाहते हैं. कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसने बड़ी परियोजनाओं को लागू किया हो और जिसके पास जमीनी स्तर का काम करने का अनुभव हो, ये कोई कोई महान नर्तक या संगीतकार भी हो सकता है.’
65 साल की उम्र तक पढ़ा सकते हैं
चेयरपर्सन जगदीश कुमार ने कहा कि कई क्षेत्र में ऐसे विशेषज्ञ हैं जो विश्वविद्यालयों में पढ़ाना चाहते हैं. ऐसे भी लोग हो सकते हैं जिन्होंने किसी प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू किया हो और उन्हें काफी जमीनी अनुभव है, या फिर ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो बेहतरीन गायक हैं, म्युजिशियन हैं, डांसर हैं वो भी इस नियम में बदलाव के बाद बढ़ा सकते हैं. जो भी विशेषज्ञ हैं और 60 साल की उम्र को पार कर चुके हैं वह विश्वविद्यालय में 65 वर्ष की आयु तक पढ़ा सकते हैं. गुरुवार को इस बाबत अलग-अलग विश्विद्यालयों के वीसी के साथ बैठक में इसपर फैसला लिया गया.
NEP 2020 के तहत फैसला
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वीसी ने जगदीश कुमार के साथ हुई बैठक में शिक्षक और प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के नियमों में संशोधन के लिए एक समिति के गठन का फैसला किया है. यह बैठक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. इन सबके अलावा यूजीसी की योजना एक ऐसा पोर्टल शुरू करने की भी है जिसके जरिए शिक्षकों की भर्ती का हिसाब-किताब रखा जा सके. इससे शिक्षकों की नियुक्तियों प्रक्रिया में देरी नहीं होगी.
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